झूठ का सहारा लेकर जनता एकत्र करना महंगा पड़ गया भाजपा को
सीहोर 30 अप्रैल (वि.सं.)। अन्नपूर्णा योजना के नाम पर जनता को एकत्र करने का लक्ष्य पूरा करने के लिये नगर में जिस प्रकार की दो मुँही राजनीति जनता के साथ खेली गई है उससे जिले भर में भाजपा सरकार के खिलाफ एक असंतोष का वातावरण बना दिया गया है। जिले भर में ग्रामीणों को व जनता को एकत्र करने लिये उनसे जिस प्रकार के झूठ बोले गये उससे न सिर्फ हजारों लोग मुख्यमंत्री से नाराज हो गये बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दर लाल पटवा की छवि भी धूमिल हो गई। पटवा ने भी जनता की समस्या को नजर अंदाज कर दिया परिणाम स्वरुप मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक तरह से अपनी ही पार्टी के लोगों का कुठाराघात झेलना पड़ गया। न तो कोई स्थानीय भाजपा नेता या पदाधिकारी इस मामले में अब तक कुछ बोला है क्योंकि उन सबके अधिकारियों से संबंध है और वह उनकी शरण में पड़े रहने को उतावले भी हैं। माँ अन्नपूर्णा के नाम से चलाई जा रही योजना की शुरुआत ही परेशानी और लोगों को भूखा मारने से हुई है इसकी परिणति क्या होगी यह भविष्य तय करेगा। चर्च मैदान में आई हजारों जनता में से कई लोग भूखे गये, कई लोग असंतोष व्यक्त करते देखे गये हैं....सब भाजपा को कोस रहे हैं।
प्रदेश के लाड़ले और जनहितैषी सोच के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता से जुड़े मुद्दों की एक से बढ़कर एक योजनाएं तो लाते हैं लेकिन कम से कम वह उन्ही के गृह जिला सीहोर में दम तोड़ देती है। सीहोरी अफसर शाही की कांग्रेसी मानसिकता जगजाहिर है और यही कारण है यहाँ हर बार मुख्यमंत्री की योजनाएं उनकी पार्टी को नुकसान पहुँचाती हैं। हालांकि इसमें कुछ योगदान पार्टी के उन पदाधिकारियों का भी रहता है जो शासन के नाम पर कमाते-खाते-बताते तो खूब हैं लेकिन गड़बड़ी पर ध्यान नहीं देते। सिर्फ फोटो खिंचाने व विज्ञप्ति छपाने पर ध्यान देते हैं। अधिकारियों की शरण में भी ऐसे कुछेक भाजपा नेता पड़े रहते हैं कि मानों वही उनके माई-बाप हैं।
हाल ही में चर्च मैदान पर अन्नपूर्णा योजना के नाम पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसके लिये अंतिम दिन अचानक विज्ञप्ति जारी की गई और आमंत्रण पत्र भी बांटे गये। हालांकि योजना के उद्धाटन के लिये पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता सुन्दरलाल पटवा आने वाले थे जिसकी तैयारियाँ भी चल रही थीं। जनता कैसे एकत्र की जाये इसके लिये झूठ का सहारा लेने की योजना बनाई गई। बड़ी संख्या में जिले भर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षा कर्मियों, पंचायत के सचिव व सरपंचों को जनता लाने को आदेशित किया गया। लेकिन ऐसी भीषण गर्मी में कोई दो-चार पुड़ी खाने कैसे आता ? और फिर पटवा जी का प्रचार भी नहीं किया गया था। ऐसे में सिर्फ झूठ ही सहारा बन सकता था। गांव-गांव में अलग-अलग तरह का यह प्रचार कर दिया जाने की खबर है कि जो आयेगा उसका नाम गरीबी रेखा में लिखा जायेगा......? किसी से कहा गया कि वहाँ मकान के पट्टे मिलेंगे......इसलिये मौका मत छोड़ना आ ही जाना......किसी से कहा गया कि वहाँ सबको अनाज बंटेगा......(बेचारे लोग अनाज के चक्कर में झोला और ले आये)? इसी प्रकार किसी से कहा कि भोजन मिलेगा तो किसी से कहा कि सरकार रुपये बांटेगी.....कुछ किसानों से कह दिया गया कि वहाँ सरकार लोन दिलाने के कागज पूरे करेगी और तुम्हे लोन मिल जायेगा....। इस प्रकार जो जैसे मान सकता था उसको वैसा कहा गया और सबको अनाप शनाप जानकारियाँ दे-देकर यहाँ चर्च मैदान पर भारी भीड़ एकत्र कर ली गई।
जनता इतनी आ गई कि मैदान में बने पांडाल में समा नहीं रही थी। सबको अपेक्षा थी कि कुछ न कुछ उन्हे जरुर मिलेगा। बेचारे इंतजार करने लगे। नेताओं के कब भाषण खत्म हों और उन्हे वह मिले जो बताया गया है अर्थात किसी को अनाज की अपेक्षा थी, किसी को लोन की, किसी को जमीन के पट्टे की और किसी को कुछ और.....।
लेकिन सुन्दरलाल पटवा से लेकर करण सिंह वर्मा और सबने ऐसे भाषण दिये कि मानों जैसे उन्हे देखने के लिये जनता इतनी बड़ी संख्या में आ गई है, वह फूले नहीं समा रहे थे, समझ रहे थे कि यह भाजपा सरकार की लोकप्रियता का कमाल है। इधर जनता हैरान थी कि उन्हे कब भाषण से मुक्ति मिलेगी।
अंतत: सबको भोजन के पैकेट मिले। किसी पैकेट में 4 तो किसी में 6 पुड़ी थी, मोटी पुड़ी के साथ एक केरी की फांक अचार वाली और बाकी जरा-सी सेंव व नुक्ती थी। पहले तो उन लोगों को पैकेट दिये गये जो कर्मचारी ठेके पर लोगों को लेकर आये थे उन्होने अपने-अपने पर्चे संख्या लिखी हुई बताई उतने पैकेट मिल गये लेकिन बाद में जब आम जनता भोजन के पैकेट लेने लगी तो पैकेट खत्म हो गये....गर्मी से त्राही-त्राही कर रही जनता को न तो ठंडा पानी नसीब था न भोजन, उस पर जनता को परेशान करने और सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का दुष्चक्र रचते हुए कुछ अधिकारियों द्वारा कहा जाने लगा कि जल्दी से इन्दौर नाके केआगे दशहरा मैदान पर जाईये वहाँ भोजन बंट रहा है। थोड़ी देर में अपने-अपने साधनों से कुछ लोग पैदल भी दशहरा मैदान पर एकत्र होने लगे लेकिन वहाँ तो कुछ भी नहीं था।
कुल मिलाकर गांव-गांव से आया विशाल जनसमूह भाजपा के नेताओं को कोसता हुआ, उन्हे सालता हुआ अपने गंतव्य को रवाना हो गया। वह सोच रहा था कि कुछ दिया जायेगा लेकिन यहाँ तो भोजन भी ठीक से नहीं नसीब हो सका। इस प्रकार यह कार्यक्रम बजाये भाजपा शासन की लोकप्रियता बढ़ाने के मुख्यमंत्री की योजनाओं पर कुठाराघात कर गया।
इधर कार्यक्रम खत्म होने के बाद भी अब तक भाजपा के स्थानीय नेताओं ने जनता को जिस प्रकार परेशान किया गया व झूठ बोला गया इसके लिये कोई कार्यवाही की शुरुआत नहीं की है, वह अभी भी अधिकारियों को ही खुश करने में लगे हैं। इसी प्रकार न पटवा जी न ही करण सिंह वर्मा ने भी मौके पर इस गड़बड़ी के खिलाफ किसी अधिकारी को डांटा डपटा।