Friday, May 16, 2008

वो कौन-सा पेट्रोल पंप हैं जहाँ डीजल के नाम पर शुध्द घांसलेट दिया जाता है....?

सीहोर 15 मई (नि.सं.)। नगर में एक ऐसा पेट्रोल पंप मौजूद हैं जहाँ यदि आप डीजल लेने जायेंगे तो निश्चित ही आपको या तो घांसलेट मिला हुआ डीजल दिया जायेगा अथवा हो सकता है कि पूरा का पूरा ही घांसलेट दे दिया जाये। खुले आम यूँ घांसलेट बेचने वाले पेट्रोल पंप मालिक से क्या जिला खाद्य अधिकारी की विशेष जमती है या वह इसके रिश्तेदार लगते हैं जो यहाँ जांच नहीं की जा रही है। आखिर क्या कारण है जो नगर भर के पेट्रोल पंपों पर लम्बे समय से यह आम शिकायत है कि मिलावट होती है उसके बाद भी जांच नहीं की जाती। क्या सबसे हफ्ता बंधा हुआ है जो नियम से प्रशासन के अधिकारियों को पहुँच रहा है....? पूरा नगर इन पेट्रोल पंपों का उपभोक्ता है जिसके साथ खुले आम छल किया जा रहा है घांसलेट मिला डीजल-पेट्रोल दिया जा रहा है।
सिर्फ नगर ही नहीं नगर के आस पास के पेट्रोल पंपों और ग्रामीण क्षेत्रों से लगे पेट्रोल पंपों पर तो मिलावट की हद कर दी जाती है। जिला खाद्य व आपूर्ति अधिकारी गले-गले तक इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि कहाँ कितनी मिलावट होती है उनकी इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता तो क्या वाकई इनके पेट्रोल पंप मालिकों से अच्छे संबंध है या सांठ-गांठ है। पहले एक पेट्रोल पंप खासा बदनाम था जहाँ पर घांसलेट बहुत बड़ी मात्रा में पेट्रोल में मिलाकर बेचा जाता था कहा जा रहा है कि आज तक यहाँ कुछ सुधार हो गया है।
लेकिन अब एक नये युवा पेट्रोल पंप मालिक ने सारी सीमाएं ही लांघ दी हैं। उन्होने पेट्रोल पंप में पेट्रोल-डीजल के साथ ही घांसलेट भी उसमें मिलाकर बेचना शुरु कर दिया है। दो दिन पूर्व का ही किस्सा है कि इस पेट्रोल पंप पर नियमित डीजल डलवाने वाले वाहन जब आये और डीजल भरवाकर गये तो उनके वाहनों ने चालू होने मे अपेक्षा से यादा झटके खाये। जब जांच की तो पता चला कि डीजल के स्थान पर पेट्रोल पंप से शुध्द घांसलेट डाला गया है। आखिर पेट्रोल पंप मालिक की हिम्मत को दाद देनी चाहिये कि वह यूँ खुले आम डीजल के नाम से घांसलेट बेच रहा है और उसे इसको लेकर जरा भी डर नहीं है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस पेट्रोल पंप पर डीजल के स्थान पर शुध्द घांसलेट डाला जा रहा है उसके पास इतना सारा घांसलेट आ कहाँ से रहा है ? क्योंकि यहाँ नीला घांसलेट ही डाला गया था मतलब जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी को क्या इसकी भनक भी नहीं है कि पूरा का पूरा टेंकर घांसलेट का एक पेट्रोल पंप में डाला जा चुका है। इतना बड़ा घांसलेट का घोटाला आखिर कैसे हो रहा है ? निश्चित ही यहाँ नीचे से लेकर ऊपर तक सब कुछ गड़बड़ झाला चल रहा है।
नगर भर के पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल में घांसलेट मिलाकर बेचने की जानकारी प्रारंभ से ही फुरसत को मिलती रही है। पूर्व में फुरसत के कुछ संवाददाताओं ने लगातार रात-रात भर जागकर कुछ पेट्रोल पंपों की निगरानी भी की थी तब पता चला था कि इन सारे पेट्रोल पंपों पर सीधे बड़े-बड़े टैंकर ही घांसलेट के भराकर आते हैं और वह सीधे इसमें डलवा लिये जाते हैं। एक पेट्रोल पंप 200 लीटर की टंकियाँ आती हैं जो पेट्रोल पंप के पीछे ले जाकर खाली करा ली जाती हैं। इस प्रकार पेट्रोल पंपों पर घांसलेट मिला डीजल व पेट्रोल मिलना आम बात है।
यदि कोई पेट्रोल शुध्द देने का दावा करता है तो डीजल में गड़बडी क़र देता है और कोई दोनो में बराबर-बराबर घांसलेट मिला देता है।
नगर के मैकेनिकों का कहना है कि जो वाहन विशेषकर चांदबड़, कालापीपल व अन्य ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं उनका जब कभी इंजन खोला जाता है तो अंदर घांसलेट के कारण पूरा इंजन ही जंग की तरह लाल दिखाई देता है जबकि अच्छे व साफ पेट्रोल से चलने वाले वाहनों का इंजन वर्षो बाद भी खोला जाये तो कभी जंग लगा लाल नजर नहीं आता। स्पष्ट है कि दो पहिया वाहनों में डलने वाला पेट्रोल विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में तो घांसलेट की मिलावट के साथ ही बेचा जा रहा है।
पेट्रोल पंप मालिकों को इतनी बड़ी मात्रा में घांसलेट कौन उपलब्ध करा रहा है ? किसकी सांठ गांठ है ? किसकी सेटिंग है ? कितना घांसलेट नगर में आता है और कितना बंटता है और कितने घांसलेट ड्रम का हाकर उठाने के पहले ही सौदा कर लेते हैं यह सब जांच का विषय है। नगर में घांसलेट की कालाबाजारी से लेकर पेट्रोल व डीजल उपभोक्ताओं के साथ छल किया जा रहा है। जबकि जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी इस संबंध में मौन साधे बैठे हैं। आखिर क्या कारण है कि आज तक किसी पेट्रोल पंप पर छापा डालकर जांच नहीं की गई ? आखिर क्या कारण है उक्त पेट्रोल पंप जिसमें डीजल के नाम पर घांसलेट दिया जा रहा है उस पर अभी तक छापा नहीं डाला गया ? टैंक में डाला घांसलेट खुशबू से पहचाना जा सकता है ? फिर चाहे तो भोपाल जांच के लिये भी भेजा जा सकता है आखिर जांच अधिकारी खाद्य आपूर्ति अधिकारी जांच से बच क्यों रहे हैं ? क्या इसके लिये भोपाल में जांच कराने का आग्रह करना पड़ेगा या जनता को आंदोलन व ज्ञापन देने होंगे ?