Sunday, April 20, 2008

सुबह-सुबह का घूमना सौ दवा की एक हवा


आष्टा 19 अप्रैल (नि.प्र.)। सुबह सुबह की नींद किसे अच्छी नही लगती ऐसा कहते है कि कोई व्यक्ति भले ही आधी रात तक नही सो पाया हो अगर तीसरे पहर की नींद मिल जाये तो सुबह आदमी तरोताजा रहता है लेकिन अपने ही नगर के 75 वर्षीय सवाईमल जैन नजरगंज एवं उत्तम सुराना बुधवारा जिन्होंने 9 वर्ष से तीसरे पहर की मीठी नींद का त्याग करके अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर स्वास्थ्य को बेहतर रखने का जुम्मा उठाया है । प्रात: 4 बजे के पूर्व उठकर लगभग 7 किलो मीटर नियमित रूप से घूमने जाते है । यूतो कई व्यक्ति रोज घूमने जाते है, लेकिन इनका तोड़ नहीं क्यो कि कड़-कड़ाती ठंड में एवें भारी बारिश में भी घूमने जाते है, आदत बन गई है । दोनों व्यक्ति से हमारे प्रतिनिधि से चर्चा की सवाईमल ने बताया की रात 3 बजकर 15 मिनट पर उठकर स्नान कर जाप करने के पश्चात 4 बजे पूर्व घर से टहलने के लिये निकल जाते है । आपका मानना है कि ब्रहृ मोर्हत में वायु मण्डल से अमृत बरसता है । जिससे हमारे शरीर को प्राण ऊर्जा मिलती है। ग्राम पदमसी के पास पेट्रोल पंप तक नियमित रूप से हम दोनो घूमने जाते है । वापसी में श्यामाप्रसाद मुखर्जी मैदान में लगभग 45 मिनट तक योग प्राणायाम करने के पश्चात 6.30 बजे घर पहुचते है । आपका कहना है कि सौ दवा की एक हवा राम वाण है । पिछले 4 वर्षो से लगातार योग प्राणायाम करते है । 1995 में गंभीर हार्ड की बिमारी के चपेट में आ गये थे । 6 महीने के इलाज के पश्चात डाक्टरों ने कुछ दवाईयां जीवन पर्यत लेने का बोला । लेकिन योग प्राणायाम और नियमित घूमने से मेरी सभी प्रकार की बिमारी जड़ से समाप्त हो गई। फिलहाल 4 वर्षो से मैने किसी भी प्रकार की दवाई गोली नही ली है । एवं स्वस्थ्य जीवन जी रहा हूं । ये सब योग प्राणायाम व टहलने का परिणाम है । इनके ही साथी उत्तम सुराणा ने बताया कि शरीर को निरोगी बनाने के पहले हमने 6 वर्षो से चाय, पान, सुपारी, गुटका, कोलड्रिंक का पूर्णत: त्याग कर दिया । शाम को सूर्य अस्त के पूर्व भोजन आदि कर लेते है एवं रात्रि 10 बजे के पूर्व सोना एवं सुबह 4 बजे के पूर्व टहलने जाना आदत बन गई है । पिछले 9 वर्षो से मुझे घुमने व टहलने के लिए सवाईमल जी का साथ मिला । मैने उौन सिंहस्थ में योग गुरू बाबा रामदेव का 3 दिवसीय शिविर अटेन किया एवं आष्टा के योग गुरू मास्टर रामनरेश यादव के सानिध्य में योग प्राणायाम सीखा । आपका कहना है कि पहला सुख निरोगी काया अगर आपकी काया निरोगी नही है तो धन,दौलत, जमीन, जायदाद, किसी काम के नही है । रोजाना घूमने में मेरा प्रेक्टिकल है मेरी बचपन से शीत की तासीर रही ठंड की मौसम में मुझे सर्दी जुखाम एवं खांसी से बहुत परेशानी रहती थी। लेकिन नियमित घुमने जाने से एवं योग प्राणायाम करने से उपरोक्त रोग से मुक्त हो गया । धीरे-धीरे तासीर में भी बदलाव आया । अब में तेज चाल से आठ, दस किलो मीटर तक चल सकता हूं । पिछले दो-तीन वर्ष पूर्व आंखे सूजने की बिमारी चली थी, पिछले वर्ष चिकनगुनिया बुखार का दौर था। लेकिन इन दौनो गंभीर बिमारी का हम दोनों व्यक्ति पर असर नही हुआ ये सब नियमित जल्दी उठने व टहलने एवं योगा करने का ही परिणाम है ।