Saturday, March 8, 2008

जब वो धड़ाम से गिर पड़े, और फिर सब हंस पड़े ......

सीहोर 8 मार्च (फुरसत)। कल शिव बारात का स्वागत करने की होड़ हर एक मे थी। कईयों ने मंच बनवाये थे तो कुछ ने स्वागत द्वार लगवाये थे। हर तरफ उत्सवी माहौल था, खुशी छाई हुई थी, कोई मन में ऊं नम: शिवाय जप रहा था तो कोई हर-हर बम-बम रट रहा था। ऐसे ही उत्सवी माहौल में मेन रोड पर एक मंच पर एक नेताजी भी स्वागत करने के लिये चढ़ गये। नेताजी के चढ़ते ही उनके समर्थकों में भी उत्साह का संचार हो गया। मंच कुछ कमजोर था। और मंच के हिसाब से अपेक्षा से यादा ही लोग शिव बारात को देखने और स्वागत करने के लिये यहाँ मंच पर चढ़ गये थे। उत्साह तो था ही, जब भीड़ बढ़ गई और उधर आधी बारात का स्वागत हो ही चुका था, पीछे देवतागणों का रथ आने ही वाला था, कि उसको देखने की होड़ भी बढ़ने लगी। इसी होड में अचानक मंच इतनी तेजी से गिरा कि कोई कुछ समझ ही नहीं पाया । मंच से सबसे पहले नेताजी और फिर समर्थक गिर पड़े। धड़ाम के साथ इधर-उधर सब लुढ़क गये। एक मोटे से व्यक्ति की बनियान तक फट गई। उत्सव के इस माहौल में जब पूरा मंच ही टपक गया तो सबके लिये अचरज की बात हो गई और इस अचरज में सबकी हंसी छूट गई। देखने वाले भी हंसे और गिरने वाले भी हंसे ।