सीहोर 2 मार्च। शिवराज सिंह चौहान ने यदि सीहोर की अपनी रैली स्थगित की है तो वह इसलिये नहीं की क्योंकि उन्हे किसी बच्चो को परीक्षाओं का ख्याल आ गया है बल्कि वह तो सिर्फ इसलिये मारे भय के पीछे हट गये कि सीहोर में उनका कोई जनाधार नहीं है, जनता में उनके प्रति आक्रोश है, और जिन सुषमा स्वराज के दम पर वह भीड़ जुटाना चाहते थे उनका आना स्थगित हो गया था। इस भय से शिवराज घबरा गये क्योंकि वह जानते हैं कि उनके प्रति जनता में आक्रोश है । उपरोक्त बात आज युवा तुर्क नेता व हेण्डीक्राफ्ट बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अक्षत कासट ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से कही। श्री अक्षत कासट ने कहा कि शिवराज सिंह बुदनी के नेता हो सकते हैं, बाकी प्रदेश में और सीहोर में उनका कोई जनाधार नहीं है, सीहोर से तो वह विशेष रुप से बदला लेने पर उतारु रहते हैं, तभी तो सारे विकास कार्य अपने बुदनी क्षेत्र में करवा रहे हैं।
श्री अक्षत कासट ने कहा कि यदि आजकल शिवराज सिंह चौहान विद्यार्थियों के पत्र भी पढ़ने लगे हैं, तो फिर आम समस्याओं पर और प्रदेश भर की लाखों समस्याओं के आवेदन पर उनका ध्यान क्याें नहीं जाता। क्या यह राजनीतिक स्टंट नहीं है कि उन्होने बच्चों की परीक्षाओं के लिये रैली छोड़ दी? यदि परीक्षार्थियों का इतना ही ख्याल है तो फिर परीक्षा दे रहे बच्चों के लिये बिजली की पर्याप्त व्यवस्था क्याें नहीं करवा देते ? परीक्षा हाल में उनके बैठने के लिये कुर्सी-टेबल क्यों उपलब्ध नहीं करवा देते ? असल बात तो यह है कि सुषमा स्वराज का आना अचानक स्थगित हुआ। भाजपा को समझ आ गई कि कांग्रेस का माननीय सुरेश पचौरी जी के नेतृत्व में जो महारैला निकलने वाला है उसके आगे भाजपा का प्रदर्शन बौना साबित हो जायेगा इसलिये भाजपा ने पैर पीछे खींच लिये हैं।
भाजपा ने बाल विहार मैदान में जितना टेंट लगवाया था कांग्रेस ने उससे अधिक बढ़वा दिया है। जनता प्रदेश शासन के खिलाफ आक्रोशित है और यही जनाक्रोश कल महारैली के रुप में सबको दिख जायेगा। कांग्रेस की जनाक्रोश रैली को लेकर जो कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आमजनमानस में उत्साह है और कांग्रेस के होने जा रहे विशाल प्रदर्शन से भयाक्रांत होकर भाजपा ने अपनी सभा वापस ली है, यह बात जनता अच्छी तरह समझती है। इस पर किसी को सफाई देने की आवश्यकता नहीं है।
श्री अक्षत कासट ने कहा कि यदि आजकल शिवराज सिंह चौहान विद्यार्थियों के पत्र भी पढ़ने लगे हैं, तो फिर आम समस्याओं पर और प्रदेश भर की लाखों समस्याओं के आवेदन पर उनका ध्यान क्याें नहीं जाता। क्या यह राजनीतिक स्टंट नहीं है कि उन्होने बच्चों की परीक्षाओं के लिये रैली छोड़ दी? यदि परीक्षार्थियों का इतना ही ख्याल है तो फिर परीक्षा दे रहे बच्चों के लिये बिजली की पर्याप्त व्यवस्था क्याें नहीं करवा देते ? परीक्षा हाल में उनके बैठने के लिये कुर्सी-टेबल क्यों उपलब्ध नहीं करवा देते ? असल बात तो यह है कि सुषमा स्वराज का आना अचानक स्थगित हुआ। भाजपा को समझ आ गई कि कांग्रेस का माननीय सुरेश पचौरी जी के नेतृत्व में जो महारैला निकलने वाला है उसके आगे भाजपा का प्रदर्शन बौना साबित हो जायेगा इसलिये भाजपा ने पैर पीछे खींच लिये हैं।
भाजपा ने बाल विहार मैदान में जितना टेंट लगवाया था कांग्रेस ने उससे अधिक बढ़वा दिया है। जनता प्रदेश शासन के खिलाफ आक्रोशित है और यही जनाक्रोश कल महारैली के रुप में सबको दिख जायेगा। कांग्रेस की जनाक्रोश रैली को लेकर जो कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आमजनमानस में उत्साह है और कांग्रेस के होने जा रहे विशाल प्रदर्शन से भयाक्रांत होकर भाजपा ने अपनी सभा वापस ली है, यह बात जनता अच्छी तरह समझती है। इस पर किसी को सफाई देने की आवश्यकता नहीं है।