आष्टा 6 मार्च (फुरसत)। आष्टा में स्थानीय प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों का नगर के प्रमुख गणमान्य नागरिकों, पत्रकारों, शांति समिति के सदस्यों से किसी भी प्रकार का सीधा संबंध नहीं होने से इन दिनों नगर के स्थिति बड़ी ही विकट बनी हुई है। पिछले लगभग 6 माह से जब से आष्टा में एसडीएम के रुप में तेज तर्रार अधिकारी श्रीमति जी.व्ही.रश्मि आई हैं और उनके साथ तहसील में अन्य कार्यों के लिये इछावर के एसडीएम श्री अहिरवार जी को भी दो दिन के लिये आष्टा अटैच किया यहां के नागरिकों में बड़ी असमंजस की स्थिति बन गई की वे किससे चर्चा करें अब पूरी तरह से श्रीमति रश्मि एस.डी.एम. के रुप में कार्य कर रही है, लेकिन उनकी संवादहीनता के कारण स्थिति विचित्र है, इसका उदाहरण 4 मार्च को शाति समिति की बैठक में देखने को मिला जब नगर में महाशिव रात्री, होली रंग पंचमी का त्यौहार मनाने के लिये दूसरी बार शांति समिति की बैठक रखी जिसमें मात्र 4-5 लोग ही आये कईयों को टेलिफोन लगायें लेकिन कोई नहीं पहुँचा जब मजबूरी में प्रशासन ने उक्त बैठक को स्थगित किया और अब पुन: 14 मार्च को उक्त बैठक रखी है।
बैठक में शांति समिति के सदस्य एक बुलावे पर पहुँच जाया करते थे वे इस बार क्यों नहीं पहुँचे क्या यह स्थिति प्रशासन के अधिकारियों का जो रवैया इन दिनों चल रहा है उसके कारण बनी या कोई और कारण था। जिलाधीश सीहोर को संवेदनशील आष्टा में प्रशासन और नागरिकों के बीच जो यह स्थिति नजर आई उसे देखना चाहिए।
आष्टा में प्रतिष्ठा महोत्सव में आज भगवान का जन्मकल्याणक भक्ति भाव से मना
आष्टा 6 मार्च (फुरसत)। हमें केवल अपनी आत्मा की चिंता है लेकिन तीर्थंकर भगवान जो होते हैं उन्हे सभी आत्मा की चिंता होती है। तीर्थंकर भगवान की आत्मा ने भी एक बार अपने जैसे रहे हैं और 84 लाख योनियों में भ्रमण किया है। जब सम्यक दर्शन की प्राप्ति हो जाती है वहीं से तीर्थंकर बनने की साधना शुरु हो जाती है। कल जो था वो च्यवन कल्याणक था और आज भगवान का जन्म कल्याणक का पावन दिवस है।
उक्त बात श्री नेमिनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर किला आष्टा पर चल रही भगवान की प्रतिष्ठा एवं अंजनशलाका के 5 वें दिन जन्मकल्याणक दिवस के पावन अवसर पर उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं में संबोधित करते हुए आचार्य देव श्रीमद् विजय नयवर्धन सू.म.सा. ने कहे आचार्य श्री ने आगे कहा कि सारे जगत का उध्दार करने वाले परमात्मा हैं। तीर्थंकर पद का स्वरुप क्या होता है यह सब शास्त्रों में बताया गया है जब तीर्थंकरों का पंच कल्याणक होता है तो सारे जगत में प्रकाश ही प्रकाश एवं आनंद तथा उत्साह छा जाता है। यहाँ तक नरक के जीवों को भी क्षण भर के लिये आनंद की अनुभूती होती है। जब अपना उत्कर्ष होता है तब दूसरों के लिये यह आनंद का कारण बनना चाहिए। कल च्यवनकल्याणक और आज जन्म कल्याणक पर आपने जो देखा वो नाटक नहीं था यह परमात्मा की भक्ति थी। जिन पात्रों ने इस भक्ति में किरदान निभाया यह उनका सौभाग्य है कि उन्हे उक्त पात्र बनकर उसका किरदान निभाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। स्वर्ण में मेरु पर्वत पर भगवान का जन्माभिषेक होता है और चारों दिशाओं से छप्पन दिक् कुमारिकाएं उपस्थित होती हैं और गुणगान करती हैं इस अवसर परम पू.पन्यास प्रवर श्री हर्षतिलक विजय जी म.सा. ने भी अपने विचार रखे। इसके पूर्व प्रात: 8.15 बजे मंदिर जी पू.आचार्य भगवंत की निश्रा में जन्मकल्याणक विधान का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। दोप. में किला मंदिर से जन्कल्याणक का विशाल वरघोड़ा हाथ रथ, बैण्ड बाजे, शहनाई आदि के साथ निकला जो नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ किला मंदिर जी पर समाप्त हुआ। आज प्रात: किला मंदिर जी में विभिन्न प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा की बोलियां भी सम्पन्न कराई गई। आज श्रावक नंदकिशोर मनोज कुमार वोहरा परिवार का बहुमान की बोली लेने वाले श्रावक रविन्द्र चन्द्रप्रकाश रांका परिवार ने बहुमान किया। आज जन्म- कल्याणक कार्यक्रम में क्षेत्र के विधायक रघुनाथ मालवीय विशेष रुप से उपस्थित थे। प्रतिष्ठा महोत्सव में भाग लेने के लिये दूर-दूर से भक्तों का नगर आगमन प्रारंभ हो गया। रोजाना बड़ी संख्या में भक्त तीर्थ नगरी आष्टा में पधार रहे हैं। वही प्रतिष्ठा महोत्सव समिति भक्ति सेवा भाव से प्रतिष्ठा कार्यक्रम को सम्पन्न कराने में दिन रात जुटे हुए हैं।
बैठक में शांति समिति के सदस्य एक बुलावे पर पहुँच जाया करते थे वे इस बार क्यों नहीं पहुँचे क्या यह स्थिति प्रशासन के अधिकारियों का जो रवैया इन दिनों चल रहा है उसके कारण बनी या कोई और कारण था। जिलाधीश सीहोर को संवेदनशील आष्टा में प्रशासन और नागरिकों के बीच जो यह स्थिति नजर आई उसे देखना चाहिए।
आष्टा में प्रतिष्ठा महोत्सव में आज भगवान का जन्मकल्याणक भक्ति भाव से मना
आष्टा 6 मार्च (फुरसत)। हमें केवल अपनी आत्मा की चिंता है लेकिन तीर्थंकर भगवान जो होते हैं उन्हे सभी आत्मा की चिंता होती है। तीर्थंकर भगवान की आत्मा ने भी एक बार अपने जैसे रहे हैं और 84 लाख योनियों में भ्रमण किया है। जब सम्यक दर्शन की प्राप्ति हो जाती है वहीं से तीर्थंकर बनने की साधना शुरु हो जाती है। कल जो था वो च्यवन कल्याणक था और आज भगवान का जन्म कल्याणक का पावन दिवस है।
उक्त बात श्री नेमिनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर किला आष्टा पर चल रही भगवान की प्रतिष्ठा एवं अंजनशलाका के 5 वें दिन जन्मकल्याणक दिवस के पावन अवसर पर उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं में संबोधित करते हुए आचार्य देव श्रीमद् विजय नयवर्धन सू.म.सा. ने कहे आचार्य श्री ने आगे कहा कि सारे जगत का उध्दार करने वाले परमात्मा हैं। तीर्थंकर पद का स्वरुप क्या होता है यह सब शास्त्रों में बताया गया है जब तीर्थंकरों का पंच कल्याणक होता है तो सारे जगत में प्रकाश ही प्रकाश एवं आनंद तथा उत्साह छा जाता है। यहाँ तक नरक के जीवों को भी क्षण भर के लिये आनंद की अनुभूती होती है। जब अपना उत्कर्ष होता है तब दूसरों के लिये यह आनंद का कारण बनना चाहिए। कल च्यवनकल्याणक और आज जन्म कल्याणक पर आपने जो देखा वो नाटक नहीं था यह परमात्मा की भक्ति थी। जिन पात्रों ने इस भक्ति में किरदान निभाया यह उनका सौभाग्य है कि उन्हे उक्त पात्र बनकर उसका किरदान निभाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। स्वर्ण में मेरु पर्वत पर भगवान का जन्माभिषेक होता है और चारों दिशाओं से छप्पन दिक् कुमारिकाएं उपस्थित होती हैं और गुणगान करती हैं इस अवसर परम पू.पन्यास प्रवर श्री हर्षतिलक विजय जी म.सा. ने भी अपने विचार रखे। इसके पूर्व प्रात: 8.15 बजे मंदिर जी पू.आचार्य भगवंत की निश्रा में जन्मकल्याणक विधान का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। दोप. में किला मंदिर से जन्कल्याणक का विशाल वरघोड़ा हाथ रथ, बैण्ड बाजे, शहनाई आदि के साथ निकला जो नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ किला मंदिर जी पर समाप्त हुआ। आज प्रात: किला मंदिर जी में विभिन्न प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा की बोलियां भी सम्पन्न कराई गई। आज श्रावक नंदकिशोर मनोज कुमार वोहरा परिवार का बहुमान की बोली लेने वाले श्रावक रविन्द्र चन्द्रप्रकाश रांका परिवार ने बहुमान किया। आज जन्म- कल्याणक कार्यक्रम में क्षेत्र के विधायक रघुनाथ मालवीय विशेष रुप से उपस्थित थे। प्रतिष्ठा महोत्सव में भाग लेने के लिये दूर-दूर से भक्तों का नगर आगमन प्रारंभ हो गया। रोजाना बड़ी संख्या में भक्त तीर्थ नगरी आष्टा में पधार रहे हैं। वही प्रतिष्ठा महोत्सव समिति भक्ति सेवा भाव से प्रतिष्ठा कार्यक्रम को सम्पन्न कराने में दिन रात जुटे हुए हैं।