जावर 12 फरवरी (फुरसत)। चाहे संचार क्रांति एवं विज्ञान आज भले ही बहुत आगे निकल गया हो लेकिन गांवों में आज भी सैकड़ो वर्ष पुरानी परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है। ऐसी ही परम्परा का निर्वहन तहसील क्षेत्र के ग्राम ग्वाला में 13 फरवरी को किया जायेगा। सैकड़ों वर्ष पुरानी गांव गौर माता पूजन जिसे ढोलावा की माता पूजन भी कहा जाता है।
यह पूजन आज भी पूरे ग्राम की एकता के रुप में सम्पन्न होती है। मान्यता के अनुसार ग्राम पटेल को स्वप् आने के बाद पूरा गांव उसका अनुसरण करता है और सभी घरों में माता का पूजन किया जाता है। गांव में प्रत्येक घर में बिना जाति एवं वर्ग भेद के मेहमानों का आगमन होता है एवं एक ही देवी शीतला माता का पूजन किया जाता है। माता पूजन को लेकर पूरे गांव में उत्साह का माहौल है। ग्राम पटेल धन सिंह ने बताया कि उन्हे एक माह पूर्व सपना आया था । सपने में माता ने कहा था कि गांव में माता का पूजन किया जाये। इसकी सूचना पूरे ग्राम के लोगों को बकायदा मुनादी करके दी गई थी। इसके बाद ग्रामीणों ने पंडित से इस आयोजन की मुहूर्त 13 फरवरी का निकाला। मुहूर्त निकलने के बाद से गांव के हर घर में आमंत्रण पत्रिका छपवाकर रिश्तेदारों तथा मिलने वालों को निमंत्रण भेजकर आमंत्रित किया गया है। यह पूजन शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनो प्रकार की होती है। इसमें विशेष बात यह है कि गांव में सामुहिक पूजन हो जाने से उस गांव में विवाह आदि में अलग से माता पूजन को कार्यक्रम नहीं होता है। ग्राम के धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि माता-पूजन के दौरान महिलाएं अपने सिर पर अग्नियुक्त सिगड़ी रखकर नंगे पैर तथा दोनो हाथों को कच्चे सूत से बांधकर पूजन के लिये जाती है। उसके बाद उन महिलाओं के भाई सिगड़ी उतारने की रस्म पूरी करते हैं।
इस माता पूजन कार्यक्रम में कई लोग जानवर की बली भी देते हैं। गांव के बुजुर्गों के अनुसार गांव में करीब 48 वर्ष पहले माता पूजन का कार्यक्रम हुआ था इसके बाद अब हो रहा है। ग्राम के माधो सिंह ने बताया कि माता पूजन को लेकर पूरे गांव में उत्साह का माहौल है वहीं गांव के प्रत्येक घरों की साफ-सफाई कर दीवारों का रंग रोगन किया गया है। वहीं माता-पूजन कार्यक्रम में शामिल होने के लिये आये मेहमानों द्वारा अपने रिश्तेदारों का वस्त्र भेंट किये जावेंगे। इसी प्रकार का माता पूजन कार्यक्रम नजदीकी ग्राम बरछापुरा में भी 18 फरवरी को होगा इसके लिये इस गांव में भी तैयारियाँ जोर शोर से चल रही है। इसके पहले इस प्रकार से माता पूजन का आयोजन क्षेत्र के ग्राम टोल का खेड़ा मूण्डला चौकी बाजखेड़ी आदि गांवों में पूर्व में हो चुका है। sehore fursat