Thursday, January 8, 2009

सिध्दपुर धरा की छवि धूमिल करने में लगे मांस दुकानदार, कई मंदिरों के पास लगी मांस, अंडे की दुकाने

सीहोर 7 जनवरी (नि.सं.)। नगर में इन दिनो मांस, अंडे की दुकानें पूरे नगर में फैल गई हैं, मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से निकलकर अब यह दुकानें मंदिरों के पास पहुँच गई हैं। एक बैरागढ़ से कथित राजनीतिक संगठन के नेताओं का वरदहस्त प्राप्त व्यक्ति ने तो बस स्टेण्ड पर खुले आम मांस की दुकान खोलकर नगर की प्रवेश द्वार से ही छवि धूमिल कर डाली है, इस बाहरी व्यक्ति को तो सीहोर से लेना-देना नहीं है लेकिन सीहोर के कुछ लोग भी इसे संरक्षण देने लगे हैं।

      इन दिनो मांसाहारी दुकानों का चलन बढ़ता ही जा रहा है। पूर्व में ऐसी दुकाने सीमित और संकुचित हुआ करती थी। यूँ तो पूरे प्रदेश में सीहोर के तीतर प्रसिध्द रहे हैं जो आजकल बड़े-बड़े होटलों में महंगे दामों पर ही उपलब्ध होते हैं लेकिन सीहोर की छवि एक धार्मिक नगरी सिध्दपुर नगरी के रुप में रही है। महांकाल उजैन की धार्मिक सीमा के अंतर्गत सबसे अंतिम छोर पर बसे सिध्दपुर में ही सर्वाधिक मंदिरों की श्रृंखला है। जहाँ संतो के बड़े डेरे के रुप में श्री अधिकारी मंदिर, बड़ा मंदिर भी मौजूद है। शिव जी अनेकानेक मंदिरों की यहाँ श्रृंखला मौजूद है। लेकिन आजकल इसी नगरी में अंडा-मांस की दुकाने हर एक जगह पर लगने लगी है।

      यूँ तो किसी भी शहर के प्रवेश द्वार बस स्टेण्ड अथवा रेल्वे स्टेशन मार्ग पर यदि कोई भी व्यक्ति आता है और वहीं उसे मांसाहारी दुकाने दिखने लगती हैं तो उसकी उस शहर के प्रति एक अलग ही छवि बन जाती है। आजकल कुछ यही स्थिति भाजपा शासन काल में, बैरागढ़ के भाजपाई शक्ति वाले नेताओं का संरक्षण पाने वाले व्यक्ति बना दी है। यहाँ बस स्टेण्ड पर सड़क पर खुले आम मांस की दुकान यह चला रहा है और स्थानीय लोग इसका विरोध भी नहीं कर रहे हैं, कुछ इसे संरक्षण भी दे रहे हैं, और एक  व्यक्ति ने इसके धंधे को देखते हुए अपना एक नया ठेला भी लगा लिया है। 

      इधर मनकामेश्वर महादेव बावड़ी वाला मंदिर तहसील चौराहा पर भी मंदिर की सीध में लाईन से अंडे की दुकाने लगना शुरु हो गई है। यहीं अंडे वाले अंडे के सामान बनाते हैं और बेचते हैं। इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। संजय टाकीज मार्ग हो गया नदी चौराहा से अस्पताल मार्ग पर इन मार्गों पर मंदिरों के पास अंडा बेचने वालों की दुकानें लगना शुरु हो चुकी हैं। जिससे धीरे-धीरे एक धार्मिक नगरी की छवि सीहोर की खत्म होती जा रही है।

      इस मामले में कोई भी धार्मिक संगठन अब तक कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि सारे ही धार्मिक संगठन अंदर ही अंदर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकते हैं और यहाँ भी सेंकने में लगे हुए हैं।