Monday, January 5, 2009

भगवत सुमिरन में अधिक समय देना संत की विशेषता-पंडित अजय पुरोहित

      सीहोर 4 जनवरी (नि.सं.) संत वही होता है जो अपने लिये कम से कम समय रखता है और भगवान के सुमिरन में अधिक समय देता है। हम जितना अपने समय में कटौती करके भगवान के सुमिरन में लगने वाले समय को बढ़ाते जाते है उतना ही हम संतत्व की और बढ़ते हैं। पंड़ित अजय पुरोहित ने निकटस्थ ग्राम भाऊखेड़ी में तीसरे दिन की कथा में संत की परिभाषा और भगवत सुमिरन के महत्व को बताते हुए कहा।

      भाऊखेड़ी में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को आस पास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं को तीसरे दिन की कथा सुनाते हुए पंड़ित अजय पुरोहित ने कहा कि हमें ये जो जीवन मिला है ये भगवान की देन है और हमें प्रयास करना चाहिये कि हम अधिक से अधिक समय भगवान के सुमिरन में ही लगायें। उन्होंने एक क था सुनाते हुए कहा कि एक संत थे वे पहले रोटियां खाया करते थे लेकिन जब उन्होंने देखा कि रोटियों को खाने में अधिक समय लगता है तथा उतना समय भगवान के सुमिरन में कम हो जाता है तो उन्होंने मां से कह कर खिचड़ी खानी प्रारंभ कर दी। जब गर्म खिचड़ी को खाने में भी अधिक समय लगने लगा तो उन्होंने आटे की राबड़ी बना कर पीनी प्रारंभ कर दी और अतत: उनको लगा कि भोजन करने जो समय लगता है वो भोजन त्याग करके पूरा ही बचाया जा सकता है तो उन्होंने भोजन त्याग ही कर दिया और भगवान का सुमिरन करना प्रारंभ कर दिया और अंतत: मोक्ष को प्राप्त हुए। पंडित अजय पुरोहित ने कहा कि तुलसी का पौधा हर व्यक्ति के घर में होना ही चाहिये और संध्या के समय तुलसी के पौधे के सम्मुख दीपक अवश्य प्रज्वलित करना चाहिये क्योंकि ये हमारे घर से अंधकार को दूर करता है। तीसरे दिन की कथा में उन्होंने सनत कुमार की क था सुनाते हुए कहा कि वैकुण्ठ के सात दरवाजों काम,क्रोध, मद, मोह, था जिससे कि वे कुपित हो गये और श्राप दे दिया कि तीनजन्मो में असुर होना पडेग़ा उसी कारण दोनों को तीन जन्मो में हिरणाक्ष हिरण्कयकश्यप,रावण,कुं भकर्ण, तथा देवावक्र और शिशुपाल बनना पड़ा था। ये सातों दरवाजे हममे से हर एक को पार करने होते है। यही सातों दरवाजों पार करके वैकुण्ठ को पहुंचा जाता हे लेकिन हम इन्ही दरवाजों में रूक जाते है। ये सातों दरवाजों हमारे अंदर की सात बुराइयां है जो हमारे और भगवान के मिलन में बाधा है जब तक हम इन दरवाजों को पार नही करेंगें तब तक हम भगवान के दर्शन नही कर सकते है। तीसरे दिन की क था में सुमधुर भजनों पर श्रद्धालुओं ने आनंद विभोर होकर खूब नृत्य किया। कल चौथे दिन की कथा में भगवान के जन्म की कथा कही जायेगी और जन्मोत्सव मनाया जायेगा।