सीहोर 28 फरवरी (फुरसत)। मा. सत्र न्यायाधीश एम.ए. सिद्दीकी ने थाना बिलकिसगंज के अपराध क्रं. 252007 के आधार पर बनाये सत्र परीक्षण क्रमांक 1202007 में अभियुक्त राकेश पुत्र भंवरजी निवासी ग्राम कुलासकलां को अव्यस्क बालिका के अपहरण का दोषी सिद्ध पाकर भारतीय दंड विधान की धारा 363 एवं 366 के तहत तीन -तीन साल के सश्रम कारावास एवं 500-500-रुपये अर्थदंड की सजा का निर्णय पारित किया है।
अभियोजन के अनुसार फरियादी जो कि एक अव्यस्क बालिका है ने थाना बिल.गंज. में दिनांक 22507 को लिखाई गई रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण दर्ज किया व विवेचना में लिया गया जिसमें यह तथ्य प्रकट हुआ था कि अपहृत बालिका अव्यस्क है तथा उसे घटना दिनांक क ो रात्रि 11 बजे आरोपी द्वारा अपहृत कर अन्यत्र ले जाया गया था । 2 दिनों बाद परिजनों के तलाश करने पर बालिका आरोपी राकेश के कब्जे से बरामद हुई । विवेचना उपरांत मा. सत्र न्यायालय को प्रकरण विचारण हेतू प्राप्त हुआ । अभियोजन की ओर से कुल-11 गवाहों को पेश किया । मामले में दोनो पक्षों की बहस सुनी गयी तथा अंतिम बहस सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश ने अभियुक्त को अव्यक्त बालिका को अपहरण कर अन्यत्र ले जाने क ा अपराध सिद्ध माना तथा विद्वान न्यायाधीश ने आरोपी राकेश आ. भंवर जी नि. कुलांस को धारा 363 में 3 वर्ष, 366 भादवि में 3 साल की सजा व प्रत्येक में 500-500-रुपये की अर्थदंड की सजा का निर्णय सुनाया । मामले में अभियोजन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक ओ.पी.मिश्रा ने की । sehore fursat