Sunday, February 3, 2008

लाख रु.खर्च कर नचवाया...और 20 लोगों ने देखा

जनता के रुपयों की ऐसे हो रही बर्वादी, बिना
प्रचार-प्रसार के कर डाला मंचीय कार्यक्रम
सीहोर 1 फरवरी (फुरसत)। प्रदेश में मनाये जा रहे भारत पर्व के अवसर पर सीहोर में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें देश के मशहूर संतूर वादक ओम प्रकाश चौरसिया के निर्देशन में मधुकली वृन्द भोपाल कलाकारों ने संगीत रूपक मुक्ति का महायज्ञ की शानदार प्रस्तुति दी । प्रसिद्ध विद्याधर आमटे ने बांसूरी वादन प्रस्तुत किया । बड़ा बाजार में मंच बनाकर हजारों रुपये खर्च किये गये। कलाकारों को करीब 40-50 हजार रुपये दिये गये लेकिन 8 कुर्सियाँ मंच के सामने लगाकर 20-25 दर्शकों ने ही इसे देखा....। इस प्रकार बिना प्रचार-प्रसार किये इस कार्यक्रम को करके जनता के रुपये एक तरह से बर्वाद कर दिये गये। बड़ा बाजार में गणतंत्र दिवस की संध्या पर भारत पर्व के उपलक्ष्य में संगीत रूपक मुक्ति का महायज्ञ मंचित किया गया जिसमें मधुकली वृन्द भोपाल के कलाकारों ने 1857 से 1947 की आजादी की संघर्ष गाथा को संगीत और अभिनय की जुबानी प्रस्तुत किया । ओम प्रकाश चौरसिया के निर्देशन, संगीत, आकल्पन और प्रस्तुति के इस रूपक में कवि डा. रामबल्लभ आचार्य के वृन्दगान भारत प्यारा देश हमारा की कलाकारों ने अनूठी प्रस्तुति देकर कोरियोग्राफर मनोज नायर के परिश्रम को साकार कर दिखाया । मंच एवं पार्श्व गानवृन्द में जिन कलाकारों ने सहभागिता की उनमें संदीपा पारे, हिमानी सक्सेना, चित्रा जाम्बोलकर, एकता गोस्वामी, रूपक मंडलोई, देवना चौरसिया, स्मिता नायर, पूनम सोनी, नोशाबा सईद खां, रूपल गुप्ता, हर्षिता शर्मा, गोपाल लेले, लोकेन्द्र सिंह, गौरव शर्मा, सुदीप सोहनी, अंशुमान साकल्ले, अंकित लालवानी, विजय पटेल, उमेश धर्मेश, आतिक सईद खां, चिराग सोलंकी, और गोदान शामिल थे । संगीत रूपक में वाद्य वृन्द संयोजन उमेश धर्मेश ने किया । प्रकाश व्यवस्था तरूण पाण्डे, वाचक स्वर विवेक मृदूल, रंगभूषा संदीपा पारे, वेशभूषा स्मिता नायर तथा कोरियोग्राफी निदेशक मनोज नायर थे । कार्यक्रम में उद्धोषक के रूप में विनय उपाध्याय मोजूद थे । मुक्ति का महायज्ञ रूपक के बाद बांसूरी वादन के लिए मशहूर विद्याधर आमटे ने भी बांसूरी की स्वर लहरियां बिखेरकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । कार्यक्रम में ए.डी.एम. श्रीमति भावना वालिम्बे उपस्थित थीं। आये कलाकार मुट्ठा भर के रुपये ले गये और यहाँ उनका अभिनय किसी ने देखा ही नहीं।