Sunday, February 3, 2008

ग्रामीण रोजगार योजना के प्रचार-प्रसार के ठेको में उठ रही है शंका की ऊंगली

आष्टा 1 फरवरी (सुशील संचेती)। पूत के लक्षण पालने में ही नजर आने लगते हैं मतलब उक्त कहावत का यह है कि जन्म लेने वाला बच्चा जब पालने में रहता है और वो कैसी-कैसी बाल क्रिया करता है उससे उसके अभिभावक यह अंदाजा लगा लेते हैं कि यह बड़ा होगा तो कैसा होगा ? उक्त कहावत लगता है आगामी 1 अप्रैल से सीहोर जिले में गरीबों के लिये प्रारंभ हो रही राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के शुभारंभ होने के पहले इसके प्रचार-प्रसार हेतु जिस एजेंसी को आष्टा तहसील के प्रत्येक ग्राम में उक्त योजना का प्रचार-प्रसार की निविदा स्वीकृत की उसको लेकर जो शिकवा-शिकायत तथ्यों के साथ की गई है उससे लगता है कि उक्त योजना का जो बालकाल है जिसका पहला ठेका दिया है वो यह दर्शाता है कि जब इसके शुभारंभ के पहले इस योजना में जो कुछ हुआ है या यूँ कहे कि किसी को लाभ पहुँचाने के लिये किया गया है ? तो निश्चित ही इस योजना का क्या भविष्य होगा यह सोचकर ही डर लगता है। शासन की एक महती योजना प्रारंभ होने के पहले ही अनेक गड़बड़ियों का शिकार हो गई....।
असल में जो शिकायत तथ्यों के साथ जिलाधीश सीहोर को एक शिकायतकर्ता ने की है उसमें स्पष्ट खुला आरोप लगाया है कि जनपद पंचायत आष्टा द्वारा जिस डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी को प्रचार-प्रसार का लगभग 8 लाख का ठेका दिया है वो लगता है कि एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से कार्य किया है। आष्टा जनपद पंचायत में इन दिनों क्या-क्या हो रहा है यह किसी से छुपा नहीं है। इसका उदाहरण है जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत डूका भमूरा जहाँ पर शिकायतकर्ता ने जो शिकायत पिछले दिनों की पहले तो यहाँ के अधिकारियों ने उक्त शिकायत को दबाने के काफी प्रयास किये लेकिन जब शिकायतकर्ता ने अपनी दमदारी नहीं छोड़ी तो जांच के लियं पंचायत तक जाना पड़ा जहाँ पर ग्रामीणों ने खुलकर कई मुद्दों पर शिकायतों के पक्ष में बयान दिये। यह तो केवल एक पंचायत का उदाहरण है शेष पंचायतों में हुए निर्माण कार्य, विभिन्न दी जाने वाले पेंशन, इंदिरा आवास व अन्य योजनाओं की अगर जांच हो तो अधिकारियों की आंखे खुली की खुली रह सकती है लेकिन कोई जांच करे ऐसी उम्मीद कम ही है क्योंकि ऐसा करने में बात खुद जांच करने वालों तक और उनके अधिकारियों तक आ जायेगी?
1 अप्रैल से जिले में प्रारंभ हो रही राष्ट्रीय ग्रामीण योजना के प्रचार-प्रसार के लिये जिय डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी इछावर को कार्य दिया है शिकायतकर्ता ने खुला आरोप लगाया है कि उक्त कार्य के लिये इस एजेंसी के अलावा युवा विकास मण्डल, अपवार्ड सोसायटी, रुरल वर्ल्ड हेल्थ एवं मंथन स्वयं सेवी संस्था ने भी निविदाएं डाली थी। अम्बेडकर के अलावा अन्य संस्थाओं के विभिन्न कार्यों के लिये काफी कम दाम होने के बाद भी अम्बेडकर वेलफेयर की निविदा स्वीकृत की गई है। बताया जाता है कि जब शिकायतकर्ता ने जनपद पंचायत आष्टा में शिकायत की तो उससे कहा गया कि जिला पंचायत द्वारा मांगे गये मार्गदर्शन में मीडिया प्लान को आधार बनाकर उक्त निविदा स्वीकृत की गई है जबकि शिकायत कर्ता का कहना है कि यह प्रक्रिया के विरुध्द है। अगर ऐसा ही करना था तो मिडिया प्लान के अनुरुप वित्तिय आफर मंगवाये जाना था तथ्यों के साथ शिकायत करने वाले शिकायत कर्ता राजेन्द्र सिंह सामाजिक कार्यकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा कि जब हमने इसके बारे में जानने का प्रयास करते तो हमें बताया जाता कि हमने जिला पंचायत को भेज दिया है जैसे ही कोई निर्णय होगा बतायेंगे। बार-बार इसी प्रक्रिया से गुजरने के बाद हमें 7 जनवरी 08 को बताया गया कि डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी को उक्त कार्य दिया गया जबकि शिकायत कर्ता का आरोप है कि उक्त सोसायटी को इसके पहले ही 26 दिसम्बर 07 को कार्य दे दिया गया था यहाँ गंभीरता से लेने एवं जांच का विषय है।
इसकी सत्य प्रति भी शिकायतकर्ता ने शिकायत के साथ लगाई है जब उक्त कार्य की स्वीकृति 7 जनवरी 08 को हुई है तो उसे कार्य इसके पहले 26 दिसम्बर को कैसे दे दिया। वहीं शिकायतकर्ता ने एक और गंभीर आरोप लगाया है कि इस संस्था का प्रमुख है वो इछावर तहसील के ग्राम खजूरिया में शिक्षाकर्मी के रुप में पदस्थ है और वो 2 माह से आष्टा क्षेत्र में ही नजर आ रहा है इसने कईयों को अपना परिचय एक पत्रकार के रुप में देता है । यह भी जांच का विषय है कि अगर वो एक शिक्षाकर्मी है जो यह सब छुपाया क्यों गया तथा वो किस समाचार-पत्र का संवाददाता है।
शिकायत कर्ता राजेन्द्र सिंह ने बताया कि 26 दिसम्बर 07 को पत्र क्रमांक क्षएनआरईजीएस07 आदेश में उल्लेख था कि 7 दिन के अंदर 10 प्रतिशत राशि जमा की जाये। चार दिन बाद ही 1 जनवरी 08 को फिर पत्र के माध्यम से डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी रामनगर तहसील इछावर को सूचना दी गई कि आपकी राशि नहीं आई है। लेकिन अगले ही 2 जनवरी 08 को गुपचुप अनुबंध भी नियम विरुध्द कर लिया गया जबकि राशि संबंधित संस्था ने जमा नहीं की थी।
बिना राशि के अनुबंध जब हो ही नहीं सकता तब भी उसे अनुबंध पत्र दे दिया गया और हाथ बचाने के लिये मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किये। मतलब स्पष्ट है कि कहीं कुछ दाल में काला है। मामला यहीं नहीं थमा बल्कि 16 जनवरी तक भी एक सूचना पत्र जारी कर कागजी खानापूर्ति की गई लेकिन 16 जनवरी तक 10 प्रतिशत राशि जमा नहीं हुई। मतलब स्पष्ट है कि सभी अधिकारियाें की मिली भगत से ही यह कार्य दिया गया है। किसी खास व्यक्ति को लाभ पहुँचाने के लिये ऐसा किया जा रहा है।
पूरे ब्लाक में प्रति कार्यक्रम 1.85 पैसे में कठपुतली का प्रदर्शन, पूरे ब्लाक के हर गांव में मुनादी करने पर 10.25 रुपये, आमसभा की जानकारी देने पर 1.20 पैसे देना तय है लेकिन क्या पूरे 272 ग्रामों में इस महत्वाकांक्षी परियोजना का प्रचार-प्रसार किया जायेगा ? जब प्रारंभ में ही इतनी लम्बी-चौड़ी पोल है तो फिर आगे क्या होगा ? करीब 8 लाख रुपये का यह कार्य है क्या वाकई हर गांव में जाकर उपरोक्त कार्य होगा ? क्या संबंधित अधिकारी वाकई इस पर नजर रखेंगे ?
प्रतिक्रिया- शिकायतकर्ता की उक्त शिकायत पर जनपद पंचायत आष्टा के सी.ई.ओ. श्री आर.एस. वर्मा ने इस पूरी शिकायत की प्रतिक्रिया में बताया कि जो भी निविदाएं आई थी उसको खोलने के बाद जिले में भेज दिया गया था वहाँ से नियमानुसार पात्र डॉ अंबेडकर वेलफेयर सोसायटी की उक्त निविदा स्वीकृत की गई है। उक्त कार्य में पूरी पारदर्शिता अपनाकर नियमानुसार ही उक्त कार्य दिया गया है। शिकायतकर्ता की शिकायत सही नहीं है। जब उनसे पूछा की ऐसा बताया गया है कि संस्था का प्रमुख इछावर ब्लाक में शिक्षाकर्मी है तब श्री वर्मा ने कहा ऐसा मालूम नहीं है अगर ऐसा है तो इसकी जांच करवा लेता हूँ श्री वर्मा ने बताया कि 2 वर्ष के उक्त कार्य के रेट की तुलना में इसी संस्था को पात्र पाया गया था- आर.एस.वर्मा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत आष्टा । इस संबंध में फुरसत ने डा. अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी के प्रमुख से भी सम्पर्क कर उनका पक्ष लेने के भी प्रयास किये लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।