जावर 5 अक्टूबर (नि.प्र.)। नगर के मध्य भाग को रेखांकित करने वाले मुख्य बाजार में स्थित मां महिषासुर मर्दिनी का अद्भुत ऐसा चमत्कारिक मंदिर नवरात्री में जनआस्थाओं तथा श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। नवरात्रि में यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है तथा सुसाित माता रानी का सच्चा दरबार विशेष रूप से श्रृगांरिक कर, विशेष साा आकर्षण का केन्द्र बनी रहती है। मन में मुरादे, आस्था की ज्योति लेकर जो भी श्रद्धालू माता के दरबार में नतमस्तक होता है मां महिषासुर मर्दिनी उनकी मनोकामनाओं की पूर्ण करती है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाये तो माता का अद्भुत इतिहास रोचक तथ्यों तथा अद्भुत चमत्कारो की क्विदंतियों से पटा पड़ा है। दिन में तीन रूपों को धारण करने वाली माता जी की प्रतिमा स्वयं अपनी भक्ति का बखान करती है। विशेष कलाकृति से निर्मित मंदिर माता के दरबार का गुणगान स्वयं ही करता है।
ऐसा कहा जाता है कि जहां पर आज जावर नगर की संरचना है यहां पर घना जंगल हुआ करता था पेड़ों की झुरमुट तथा जंगली जानवरों का भय इस भू-भाग की विशेषता थी अनेकानेक वर्षो पूर्व सेंधव समाज के लोग बैलगाड़ियों से राहगीरों की तरह यहां से गूजरे तो रात्रि का अधिक समय होने के कारण यहां पर रात्रि विश्राम के लिये रुके ये मध्यरात्रि को सेंधव समाज के इस काफिले के पटेल की स्वप् में माता के दर्शन दिये यहां पर मंदिर का निर्माण करो तथा यहां पर निवास कर गांव बस लो सुबह जब यह बात उन्होंने अपने काफिले के साथियों को बताई तो सभी ने यहां पर रुककर गांव बयाने का निर्णय लिया तथा जावर नगर यहां पर बस गया पेड़ों के झुरमुट के बीच से माता महिषासुर मर्दिनी की अदभुत तथा चमत्कारिक प्रतिमा भी वहां से मिली थी मंदिर का निर्माण हुआ तथा खुदाई में मिले पत्थरों की नक्काशी तथा पाषाण कला के अवशेष इस मंदिर के पौराणिक होने के किस्से स्वयं बयां कर रहे थे। तभी से जावर नगर बस गया तथा धीरे-धीरे यहां माता के भक्त आकर निवासित होने लगे आज वर्तमान समय में माँ महिषासुर मर्दिनी का भव्य मंदिर यहां पर बना दिया गया है कलात्मक मंदिर भव्य तथा आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। मंदिर में उमड़ती भक्तों की भीड़ तथा पूरी होती मनोकामनाऐं भक्तों को स्वयं माता के दरबार में आकर्षित कर लेती है। एक वरिष्ठ साहित्यकार के मतानुसार चीन के धर्मगुरु फाययान जब भारत यात्रा पर आये थे तो उन्होंने अपनी भारत माता की विर्णत किताब में जावर नगर के प्राचीन इतिहास का वर्णन भी किया है क्योंकि वह भी दो दिवस तक जावर में रुके थे तथा यहां के प्राचीन मंदिरों तथा नगर के भौगोलिक वातावरण का अध्ययन भी किया गया।
खैर यहां मंदिर में स्थित मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर की अद्भुत प्रतिमा दिन में तीन, पहर में तीन रूपों को धारण करती है सुबह मां का वाल्यरूप, दोपहर में रोद्र तथा ढलती शाम को सौम्य रूप के दर्शन होते है। नवरात्रि में माता के विशेष श्रृंगार किये जाते है तथा आकर्षक पोशाकों तथा वेशभूषा से श्रृंगारित किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर वर्षो पूर्व ग्राम कुंडिया के दरबार प्रतिवर्ष पाड़े की बलि चढ़ाते थे परन्तु समय के परिवर्तन के बाद उन्होंने यह बलि बंद कर दी आज भी नवरात्रि की नवमी को मध्य रात्रि में अनेक बकरों की बलि यहां पर चढ़ाकर लोग अपनी-अपनी मन्नते र्पूण् करते है। इस दिन प्रशासन विशेष रूप से चौकस रहकर बलि प्रथा के कार्य को पूर्ण करवाता है।
जावर नगर तथा क्षेत्र पूर्णतया माता के चमत्कार तथा शक्ति पर पूर्ण विश्वास करते है माता रानी नगर तथा क्षेत्र की स्वयं रक्षा करते है। प्राकृतिक सक्कट हो या अवर्षा की स्थिति तथा कोई भी आकस्मिक संकट हो लोग मां महिषासुर मर्दिनी की चरणों में भावनात्मक समर्पण अर्पित कर आस्था के पुष्प चढ़ातेत है तो संकट का त्वरित निराकरण हो जाता है तथा मां अपने चमत्कार से प्रत्येक संकट हरण कर लेती है। माता के अद्भुत चमत्कारों के सैकड़ों किस्से आज भी नगर में प्रचलित है।
खैर नवरात्रि में माता के दरबार में भक्तों की काफी भीड़ है तथा लोग मां के दर्शनों का लाभ उठाकर मन्नते मानते है तथा श्रद्धा पुष्प समर्पित कर माता की प्रतिदिन की आरती में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है। जावर नगर यूं भी आस्था की नगरी है हमेशा माता के दरबार में कन्या भोजन दीपदान सहित अनेक आयोजन समय-सय पर होते रहते है।