सीहोर 16 सितम्बर (नि.सं.)। अग्रवाल पंचायती धर्मशाला बड़ा बाजार में सांतवे दिन की श्रीमद् भागवत कथा में भगवताचार्य पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जब रुकमणी विवाह के प्रसंग में व्याख्यान दिया तो जब मोर नाचता है पंख फैलाकर तो समझना की भगवान प्रसन्न हो रहे हैं यह बात भगवान ने गोपियों से स्वयं भागवत में अपने मुखारविंद से कही जंगल में मोर नाचे किसने देखा मोर ने ही प्रथम बार भगवान कृष्ण को राधा जी के घर तक ले गया था।
भगवान भी उस मोर का श्रेय मानते हैं और तभी से मोर पंख अपने सिर पर धारण करते हैं यह मोर पंख भगवान कृष्ण की प्रसन्नता का विषय है इनकी भागवत धर्म में महत्वता है जब-जब मनुष्य के जीवन में दुख आयेगा मनुष्य भगवान के एकदम नजदीक में पहुँच जाता है। जब मनुष्य को सुख मिलता है तब मनुष्य भगवान से दूर होता जाता है माता कुंती ने भगवान से विपत्ति मांगी जीवन में क्योंकि पाण्डों पर जब-जब विपत्ति आई उन्हे भगवान श्री कृष्ण का दर्शन हुआ गोपियाँ कोई स्त्री नहीं है यह मनुष्य के हृदय में प्रेम की भावना होती है उस प्रेम की पराकाष्ठा का अनुभव जिसको होता है वह भावना ईश्वरीय प्रेम है। जो कि चाहे स्त्री हो पुरुष हो किसी भी उम्र में भगवान जब कृपा करते हैं, तो उस भाव भावना का अनुभव मानव को हो जाता है और जब ये कृपा जिस किसी भी जीव पर होती है तो उसमें भगवान का अंश दिखने लगता है। कथा के अंतिम चरण में सुदामा जी चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण परम सखा गरीब ब्राह्मण सुदामा जी की पत्नि द्वारा द्वारिकापुरी भेजा गया। श्री कृष्ण जी के पास सुदामा में जी केवल चावल ले जाते हैं अपने प्रिय सखा के इस प्रेम को देखकर कृष्ण जी भावविभोर हो जाते हैं और सुदामा जी की दरिद्रा समाप्त कर देते हैं आज भव्य समारोह में गर्ग परिवार द्वारा श्रीमद भागवत जी को अपने सिर पर रखकर नगर के मुख्य मार्गों से श्री सत्यनारायण मंदिर बड़ा बाजार पहुँचे मीडिया प्रभारी ने बताया कि भागवत प्रेमियों ने श्री भागवत जी अपने निवास पर विधि विधान से पूजन किया आरती उतारी शोभा यात्रा में शुरु से आखिरी तक महिलाओं ने श्रीकृष्ण के भजनों पर नृत्य किया।