Monday, August 4, 2008

पार्वती बंधान में है खूब पानी, पर वितरित नहीं हो रहा

सीहोर 3 अगस्त (नि.सं.)। ईश्वर द्वारा भरपूर पानी दे दिये जाने के बावजूद नगर पालिका के कंठ शायद अभी तक गीले नहीं हो पाये हैं। काहिरी बंधान के ऊपर से पानी बहकर निकल रहा है। सारी खाली डालें भरा गई हैं....पार्वती झमाझम बह रही है लेकिन पेजलय व्यवस्था के नल हैं कि अभी भी रोते-मरते-झिकते आ रहे हैं। जाने इन नलों में कौन-सा अभिशाप लगा है कि यह भरपूर पानी के होने के बावजूद कुछ उगल नहीं रहे हैं। हर महिने भारी भरकम बिल अवश्य यह निगल लेते हैं लेकिन भरपूर पानी के बाद भी इनमें से पानी नहीं निकल रहा है। नगर पालिका की पेयजल व्यवस्था अब किस बात का इंतजार कर रही है क्या पानी काहिरी बंधान के ऊपर से निकलने के बाद भी कम पड़ रहा है अब क्या परिषद के सिर के ऊपर से निकलेगा पानी तभी पेयजल व्यवस्था सुधरेगी ? नगर में 8-8 दिन छोड़कर काहिरी का दूषित जल वितरित किया जा रहा है आखिर क्या कारण है जो पेयजल व्यवस्था सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है। अब कौन-सी आफत आ गई है ? अगर यहाँ भी कुछ मशीने खरीदने या निर्माण करने का प्रपोगंडा रचना है तो परिषद तत्काल क्यों नहीं कर लेती है ?

गत दिवस आष्टा में धमाकेदार वर्षा ने पार्वती नदी की पूर निकाल दी। पार्वती की धार इतनी तेज चली कि वो चलते-चलते सीहोर के काहिरी बंधान तक आ गई और इसके भी पार तक वह चलती चली गई। कहने का तात्पर्य यह है कि सीहोर काहिरी बंधान जहाँ से सीहोर नगर में पेयजल वितरण किया जाता है वहाँ बंधान के ऊपर से पानी बह रहा है अर्थात पर्याप्त पानी भरा हुआ है।

लेकिन नगर पालिका की पेयजल व्यवस्था के ऐसे नाटक कर रही है कि जैसे पानी का अकाल पड़ा हो और भीषम गर्मी का मौसम हो। 8-8 दिन में पेयजल वितरण किया जा रहा है वह भी कुछेक मिनिट नल चलते हैं और फिर बंद हो जाते हैं। आज की स्थिति यह है कि काहिरी में आगामी 2 महिने तक इतना पानी रहेगा कि यदि प्रतिदिन नल से जल दिया जाये तो फिर पानी की कमी नहीं रहेगी और काहिरी बंधान के ऊपर से ही पानी बहता रहेगा। मतलब ईश्वर ने हमें पानी तो खूब दे दिया है लेकिन नगर पालिका है कि पानी देने को तैयार ही नहीं है।

आखिर क्या कारण है - नगर पालिका के पास आखिर वह कौन-सा कारण है जो आज पर्याप्त पानी होने के बावजूद यहाँ जल वितरण नहीं किया जा रहा है। जब पानी है तो उसे वितरण करने में दिक्कत कौन-सी है ? यदि कहीं की मोटर जल गई है तो उसका बिल पास हो ही गया होगा नहीं हुआ तो जहाँ सैकड़ो बिल पास हो रहे हैं तो एक मोटर का भी कर दिया जाये लेकिन नगर में पेयजल वितरण तो सुनिश्चित हो। जब गर्मी में टेंकरों से जल वितरण के लिये खुद नगर पालिका अध्यक्ष और परिषद के एक-एक कारिंदा अपनी जान लगाने को तैयार रहता है तो आज फिर सुव्यवस्थित जल वितरण व्यवस्था के लिये यह हाय तौबा क्यों नहीं मचाते । जब गर्मी में एक-एक टैंकर से लेकर जगह-जगह होने वाले नलकूप खनन के लिये हर एक पार्षद सक्रिय नजर आता है ? टैंकरों की व्यवस्था समझने, जानने, हस्तक्षेप करने से लेकर सबकुछ करने को तैयार रहने वाले राजनेता अब काहे तो नगर की इस समस्या की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। अपने वार्ड में अपनी पसंद के ठेकेदार से नलकूप खनन कराने के ऐढ़ी-चोंटी को जोर लगा देने वाले पार्षदों को आखिर आज अपने वार्ड की जनता की पेयजल समस्या क्यों नजर नहीं आ रही है ? आज पार्षद आखिर अभी क्यों नहीं पेयजल वितरण व्यवस्था को नियमित कराने के लिये प्रयास कर रहे हैं।

दाल में कुछ काला है- आखिर क्या कारण है जो नगर में तरह-तरह के निर्माण कार्य कराने वाली नगर पालिका परिषद, चाहे जहाँ पुलिया निर्माण, चाहे जहाँ सड़क निर्माण, चाहे जहाँ कुंओं की सफाई के हजारों रुपये के बिल बनवाती रहती है लेकिन मात्र लाख-डेढ़ लाख रुपये की 1-2 मोटर अधिक खरीदकर पेयजल वितरण व्यवस्था को स्थायी रुप से व्यवस्थित नहीं किया जाता। क्यों पेयजल वितरण व्यवस्था के लिये आवश्यक संसाधन जुटाने में कोताही बरती जा रही है जबकि इसके लिये हर दूसरे महिने में भोपाल से पर्याप्त रुपये भी आते हैं ? उन रुपयों को दूसरे मदों में खर्च कर दिया जाता है और जानबूझकर पेयजल वितरण व्यवस्था नहीं सुधारी जाती ? राकेश राय परिषद ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में आज तक काहिरी बंधान में एक किल भी नई लगाने के प्रयास नहीं किये। जबकि सबसे प्रमुख समस्या पेयजल की है और इसके लिये ही नगर पालिका को भरसक प्रयास करने चाहिये लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है। लगता है जरुर दाल में कुछ काला है।



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