सीहोर (आनन्द )। कल एक दुर्घटना में घायल 20-22 वर्षीय नवयुवक अस्पताल आया। इसकी विभत्स चेहरा रोंगटे खड़े कर रहा था। फिल्मी दृष्यों की तरह इसके चेहरें पर कांच गड़े हुए थे और यह चेहरे खून से लथपथ था। इसके आसपास भीड़ लगी थी। चिकित्सालय में डयूटी पर सिर्फ एक ही चिकित्सक उपलब्ध था। पुलिस इसकी व्यवस्था में लगी थी। चिकित्सक ने आकर देखा और इसको आदत अनुसार भोपाल स्थानान्तरित कर दिया गया।
इसके न सिर में चोंट थी, न कहीं अन्य स्थान टूट-फूट गये थे। खून यादा बह रहा था और कांच गड़े हुए थे। लेकिन प्राथमिक उपचार के नाम पर भी इसका इलाज नहीं किया गया। न चेहरे के कांच निकाले गये, न डाक्टर ने इसे हाथ लगाया बल्कि इसे दर्द निवारक इंजेक्शन तक नहीं लगाया गया। इतना ही नहीं कोई बोतल आदि भी नहीं लगाई गई। मतलब जैसा आया था वैसा का वैसा ही इसे भोपाल भेज दिया गया। अस्पताल तक लाया जाना और यहाँ से ढिल्ली कार्यप्रणाली के चलते आधे घंटे भर बाद भोपाल रवाना होने की प्रक्रिया अवश्य इस घायल नवयुवक के लिये अभिशाप सिध्द हो गई। दर्द से तड़पता युवक बेहोंशी की स्थिति में आ रहा था, आसपास खड़े लोग स्तब्ध थे कि इसका कोई इलाज डाक्टर क्यों नहीं कर रहे। लेकिन चिकित्सक और कम्पाउण्डर ने कुछ विशेष रुचि नहीं ली। शायद कल मन नहीं रहा होगा ।
जो भी हो, नवयुवक का प्राथमिक उपचार नहीं हो सका, खून बहता रहा और वह भोपाल स्थानान्तरित कर दिया गया। आज सूचना आई कि उसकी मृत्यु हो गई है। नवयुवक की मृत्यु भोपाल में गहन चिकित्सा के बाद भी इसलिये होना बताई गई कि उसके शरीर से अत्याधिक मात्रा में खून बह गया था।