Monday, April 28, 2008

काबड़ से माता-पिता को करा रहे चार पुत्र चारधाम यात्रा......

आष्टा 26 अप्रैल (नि.सं.)। कलयुग में चार पुत्रों ने विवाह न करते हुए अपने माता-पिता को बारह योतिर्लिंग के दर्शन कराने व गौमुख गंगोत्री से कन्या कुमारी तक की यात्रा उन्हे जीप से तथा स्वयं पैदल करने वाले आज के श्रवण कुमारों की माता-पिता के प्रति यह भाव देखकर दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष पवन कुमार जैन, नगर भाजपा अध्यक्ष संतोष झंवर सहित अनेक नागरिक अचंभित रह गये। बाईस हजार किलो मीटर की अभी तक की सबसे लम्बी अद्वितीय काबड़यात्रा कर रहे हैं। 14 मई 07 को गोमुख से पैदल यात्रा प्रारंभ लेकर आज आष्टा में पहुँची थी।
ग्यारह माह पश्चात श्याम कसेरा अपनी पत्नि श्रीमति कमला देवी और चार पुत्रों सजन, अनिल, सुनील एवं अशोक के अलावा भतीजा महेश, ड्रायवर सुभाष सैनापति अपनी यात्रा के दौरान माँ पार्वती की नगरी आष्टा में पधारें। गणेश घांट कटक निवासी श्याम सुंदर कसेरा, ओडिसा हाईकोर्ट के बार के सदस्य भी हं। आपने दस सदस्यीय दल के साथ अलीपुर के प्राचीनतम हनुमान मंदिर में डेरा डाला और स्नान, ध्यान करने के पश्चात हनुमान जी, शंकर जी के दर्शन किये। श्री कसेरा ने हमारे प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए बताया कि उनके चारों पुत्र नित्य 25-30 किलो मीटर की पैदल यात्रा करते हैं। उन्होने शादी ब्याह करने से इंकार कर दिया कि पहले आपको हम बारह योर्तिलिंग सहित चारों धाम, सातों पुरी सहित सभी प्रसिध्द शिव-पीठ, शक्ति पीठों व पवित्र नर्मदा नदी की परिक्रमा करायेंगे फिर विवाह करेंगे।
इस संबंध में कटक ओडिशा निवासी श्याम सुन्दर कसेरा के चारों पुत्रों ने माता-पिता को भारत भ्रमण कराने के लिये शादी नहीं की और उनकी हार्दिक इच्छा थी कि हम सभी माता-पिता को यात्रा करायें। दो वर्ष में भारत के सभी तीर्थ स्थलों का भ्रमण कर दर्शन करने का लक्ष्य है। श्री कसेरा के येष्ठ पुत्र सान कुमार का कहना है कि हमारी यात्रा का यही संदेश है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने माता-पिता की ईश्वर की तरह पूजा करे। देशवासियों में आपसी भाईचारों, राष्ट्रीय एकता व अखण्डता, परस्पर सद्भावना, समानता आपसी प्रेम तथा देश में नैतिक आदर्शों की स्थापना के साथ शांति का संदेश देना है। इस यात्रा ने अभी तक कुछ कीर्तिमान भी रच दिये हैं जिनमें एक हजार वर्ष में हिमाचल के पालमपुर के समीप बैजनाथ के प्रसिध्द शिव मंदिर में पहली बार काबड़ यात्रा पहुँची और अभिषेक किया। इसी प्रकार अमरनाथ में भी पहली काबड़ यात्रा ने रक्षाबंधन के दिन अभिषेक किया। केदार नाथ, नागेश्वर गुजरात, सोमनाथ के पश्चात प्रदेश की महांकाल की नगरी उजैन की योतिर्लिंग के दर्शन कर अभिषेक किये। श्याम कसेरा ने बताया कि उन्हे किसी से कोई अपेक्षा नहीं है यदि शासन चाहे तो वह मिट्टी के तेल की व्यवस्था करवा दें भोजन बनाने के लिये उसकी आवश्यकता पड़ती है।