Monday, March 31, 2008

हत्यारे मार्क्सवादी

कन्नूर एक बार फिर दहल उठा। केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्टों की हिंसा का पर्याय बन चुका यह जिला संघ स्वयंसेवकों के विरुध्द कामरेडों के हिंसक षडयंत्रो का गवाह है। मार्च, 2008 के पहले सप्ताह में मार्क्सवादियों ने वहां अपनी पाशविकता का बर्बर चेहरा एक बार फिर से उजागर कर दिया। कन्नूर ही क्यों, राज्य के दूसरे क्षेत्रों में भी, जहां मार्क्सवादियों की थोड़ी बहुत ताकत बढ़ी है, इन हिंसक कामरेडो ने रा.स्व.संघ, भारतीय मजदूर संघ, भाजपा तथा अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनो के उन युवा कार्र्यकत्ताओं पर चुन-चुनकर योजनाबध्द हमले किए जो कभी मार्क्सवादी दल से जुड़े रहे थे और बाद में उस खोखली विचारधारा को त्यागकर हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से जुड़े हैं। सदानंद मास्टर, के.टी.जयकृष्णन, रवीश, रविन्द्रन और इनके जैसे कितने ही युवा इन हिंसक मार्क्सवादियों के निशाने पर रहे हैं, अनेक की तो बर्बर हत्या की गई है। मार्क्सवादियों के इस हिंसक व्यवहार का एक और वीभत्स रूप पिछले दिनों कन्नूर और थलासेरी में सामने आया है। रा.स्व.संघ-भाजपा के 5 कार्र्यकत्ताओं-निखिल, संतोष, महेश, सुरेश बाबू और सुरेन्द्रन की हत्या पाशविकता की सारी सीमा लांघ गई। वैचारिक विरोधियों के विरुध्द मार्क्सवादियों का यह घिनौना व्यवहार किसी से छुपा नहीं है। ये भले ही देश के सेकुलर मीडिया और टेलीविजन चैनलों के जरिए कुछ भी तस्वीर पेश करते हो मगर असलियत यही है कि हिंसा, हत्या, उपद्रव, अशांति, अराजकता, निर्लज्जता जैसे शब्द मार्क्सवादियों के शब्दकोष में भरे पडे हैं।
कन्नूर में मार्क्सवादी अपराधी तत्वों ने 5 मार्च से 7 मार्च के बीच लगातार तीन दिनों तक खूनी खेल खेला। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांच युवा कार्र्यकत्ताओ निखिल (22), संतोष (35), महेश (31), सुरेश बाबू (34) और सुरेन्द्रन (64) पर हमला ही नहीं किया गया बल्कि उनकी बर्बर हत्या कर दी गई। अपनी बर्बरता का परिचय देते हुए लाल हत्यारो ने युवा कार्र्यकत्ताओं के शवो के टुकडे-टुकडे कर दिए। मृत देहों से कैसी पाशविकता बरती गई थी वह चित्रों में साफ देखा जा सकता है। महेश का तो सर काटकर धड से अलग कर दिया गया था। विडम्बना देखिए, इसके बाद भी मार्क्सवादी उल्टे भाजपा व संघ पर हिंसा का आरोप सेकुलर मीडिया के जरिए उछाल रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्र्यकत्ताओ पर इधर जानलेवा हमले होते रहे और उधर राज्य के गृहमंत्री कोडियरी बालाकृष्णन के अधीन पुलिस विभाग स्वाभाविक रूप से मूकदर्शक बना रहा।
केरल पुलिस मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पदाधिकारियो की प्रहरी बनकर रह गई है। ऐसे में भाजपा ने प्रत्येक जिला मुख्यालय पर 11 मार्च को धरना प्रदर्शन आयोजित किया और फैसला किया कि जब तक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी हत्या की घृणित राजनीति बंद नहीं करेगी तब तक यह विरोध प्रदर्शन नहीं थमेगा।
राज्य में मई 2006 में माकपा और एलडीएफ (वाम लोकतांत्रिक मोर्चा) की सरकार बनने के बाद से अब तक भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नौ कार्र्यकत्ताओ की हत्या की जा चुकी है। मार्क्सवादी गुंडो ने 35 हिन्दू कार्र्यकत्ताओ के घर तहस-नहस कर डाले। कई युवा और साहसी कार्यकत्ताओ को जीवनभर के लिए अपाहिज बना दिया गया।
केरल में हिंसा की इन घटनाओ को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वैंकेया नायरू ने थलासेरी और राज्य के उपद्रवग्रस्त अन्य हिस्सों में त्वरित रुप से केन्द्रीय बलो को तैनात करने की मांग की। नायडू ने पूरे घटनाम को राज्य प्रायोजित हिंसा की संज्ञा दी है। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मानना है कि कन्नूर हत्याकांड राज्य के गृहमंत्री बालाकृष्णन की कथित शह पर रचा गया। उन्होने ही जेल में सजा काट रहे मार्क्सवादी अपराधियो को पैरोल पर छोड़ने की अनुमति दी थी जिन्होंने संभवत: यह घृणित कांड किया है। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रमेश चेन्नीतला ने आरोप लगाया है कि गृहमंत्री बालाकृष्णन ने हिंसा को रोकने के लिए कोई कदम ही नहीं उठाया, जबकि वे भलीभांति जानते हैं कि उनका अपना विधानसभा क्षेत्र थलासेरी सबसे ज्यादा संवेदनशील है। राज्य के पुलिस महानिदेशक ने स्वयं स्वीकार किया है कि थलासेरी में हुआ यह हत्याकांड पूर्व नियोजित था और इसके लिए बाकायदा योजना तैयार की गई थी। आश्चर्य इस बात का है कि इस जानकारी के बावजूद देशी बम बनाने वालो पर छापे की कोई कार्रवाई नहीं की गई। किसी भी आतंकी समूह को हिरासत में नहीं लिया गया। यहां तक कि पुलिस ने इलाके से अवैध हथियार भी जब्त नहीं किए।
स्वतंत्र प्रेक्षक कन्नूर में हुई हत्याओं के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक इतिहास और इसकी हिंसक विचारधारा को दोषी मानते हैं। उनका कहना है कि माकपा के हाथ में जब-जब सत्ता आई, उसने भारतीय जनता पार्टी और रा.स्व.संघ के कार्र्यकत्ताओं पर बेरहमी से हमले किए हैं।
प्रसिध्द समाजशास्त्री डा.के.पी. श्रीधर कहते हैं कि इस मुद्दे में साम्प्रदायिकता या वर्ग संघर्ष जैसी कोई बात नहीं है। हिंसा की मूल वजह केवल और केवल यही है कि मार्क्सवादी इलाके को अपने कब्जे में रखना चाहते हैं। कन्नूर में माकपा राज्य सचिव पिनरई विजयन, जिला सचिव कोट्टुपरम्बु से विधायक पी.जयरायन, केन्द्रीय समिति के सदस्य ई.पी.जयराजन जैसे लोग का नियंत्रण है। ये सभी अपने हिंसक आचरण के लिए जाने जाते हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तो चाहती है कि गांव-गांव में बम बनाए जाएं और वहां से भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्र्यकत्ताओ, समर्थको को समाप्त कर दिया जाए।
जब-जब माकपा सत्ता में आती है, कन्नूर में तैनात पुलिस बल में व्यापक फेरबदल कर दिया जाता है। इसके पीछे सरकार की मंशा यही होती है कि अपने कठपुतली अफसरो को कन्नूर में बैठा दिया जाए। कामरेड किसी भी तरह इस जिले पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं। बहरहाल, आज कन्नूर में भयावह सन्नाटा पसरा है। इस तरह की खबरें हैं कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पार्टी के राज्य सम्मेलन के समाप्त होने की राह देख रहे हैं। इसके बाद वे चाहेंगे कि हिंसा में बढोत्तरी हो ताकि कन्नूर में उनके लिए 'राह' आसान हो सके। पार्टी ने इलाके के हिन्दुत्वनिष्ठ कार्र्यकत्ताओं को सताने के लिए कथित तौर पर बाकायदा एक कार्य योजना तैयार कर रखी है जिस पर, संदेह है कि, पूरी तरह से अमल किया जाना अभी बाकी है। साभार पाञ्जन्य