Sunday, February 17, 2008

पद्मश्री गोकुलोत्सव जी महाराज सीहोर में श्रीनाथ जी की हवेली का भूमि पूजन करेंगे

सीहोर 16 फरवरी (फुरसत)। भारतीय संस्कृति की ध्वजा को विश्व में फहराने वाले अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूर्घन्य विद्वान एवं शास्त्रीय गायन में विश्व वंदनीय तथा अनेकों शास्त्रों के वेत्ता आचार्य डॉ. गोकुलोत्सव जी महाराज को भारत सरकार ने हाल ही में पद्मश्री से अलंकृत किया। इस उपलब्धि पर सीहोर का पुष्टिमार्गीय वैष्णव समाज समारोह पूर्वक आचार्य का आगामी 18 फरवरी को अग्रवाल पंचायती भवन में शाम 4 बजे सम्मान करेगा। इसी दिन आचार्य जी अपने कर कमलों में खजांची लाईन स्थित गोवर्धननाथ जी की हवेली के पुन:निर्माण अवसर पर आयोजित होने वाले भूमि पूजन समारोह में दोपहर एक बजे हवेली की आधारशिला रखेंगे। इस समारोह को लेकर नगर में खासे उत्साह का वातावरण निर्मित हो रहा है। fursat sehore
ऐतिहासिक महत्व की श्रीनाथ जी की हवेली
खजांची लाईन स्थित श्रीनाथ जी की हवेली ऐतिहासिक महत्व की ईमारत रही है, इसमें श्री गोवर्धननाथ जी विराजे। अब पुष्टिमार्गीय वैष्णव मण्डल ने इस अनुपम धरोहर वाले स्थल को पुन:निर्माण की अभिनव पहल की है। इस स्थल पर भव्यता के साथ श्री गोवर्धननाथ जी की हवेली का निर्माण का संकल्प वैष्णव मण्डल के सदस्यों ने लिया। इसका भूमि पूजन विश्व वंदनीय आचार्य डॉ. गोकुलोत्सव महाराज जी स्वयं अपने कर कमलों से करेंगे। 18 फरवरी को दोपहर 1 बजे यह भूमि पूजन समारोह आयोजित होगा।
विश्व वंदनीय आचार्य डॉ. गोकुलोत्सव जी महाराज
हाल ही में भारत सरकार ने पदमश्री अलंकरण से शास्त्रीय गायन में विश्व वंदनीय मूर्घन्य विद्वान एवं डीलिट की उपाधि से अलंकृत आचार्य डॉ.गोकुलोत्सव जी महराज को नवाजा। आचार्य डॉ.गोकुलोत्सव जी महाराज अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूर्घन्य विद्वान एवं शास्त्रीय गायन में विश्व वंदनीय है, न केवल अनेक शास्त्रों के वेत्ता हैं।
आपके ऊपर दो बार डाक्टरेट हो चुकी है तथा पूय महाराज श्री को डीलिट की उपाधि से अलंकृत किया गया है। पूय गोकुलोत्सव जी महाराज श्री ने 58 सोमयज्ञ कर देश-विदेश में संगीत, तत्वज्ञान और भारतीय संस्कृति की ध्वजा फहराई है एवं भारतीय सभ्यता व सिध्दांत का शंखनाद किया है। सृजनशील, कर्मयोगी महाराज श्री ने अनेक विषयों पर निबंध, उपनिषद एवं गीता पर भवयघ् एवं कण्ठाभरण भाष्य होम्योपैथी पर पुस्तिकाएं, यूनानी पर उर्दू में मुअल्लं दवासाजी तथा आयुर्वेद पर भी ग्रंथ लिखे हैं।
मधुरपिया उपनाम से उर्दू, हिन्दी, फारसी, वृजभाषा व इसके अतिरिक्त संस्कृत में भी चतुष्पदी, षटपदी, अष्टपदी, गीतिकाएं, छंद, प्रबंध, ध्रुवपद, विष्णुपद आदि की रचनाएं की हैं। पूय गोकुलोत्सव जी को वेद वाचस्पति ब्रह्माविद्या ब्रहस्पति, नाद ऋषि, तर्कवादीभ पंचानन, वेदांत भास्कर, संगीत विश्व मार्तण्ड, श्रेष्ठकला आचार्य, तान सम्राट, दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सममानित, मिलेनियम अवार्ड यूएसए, डाक्टरेट डीलिट, वि.वि.उजैन, ग्लोरी ऑफ द नेशन राष्ट्रगौरव, कॉस्ट जर्मनी, इंटरनेशनल मेलोडी अवार्ड जर्मनी, हिन्दुस्तान लाईफटाइम एचिवमेंट अवार्ड, अभिनव संगीत रत्न अवार्ड, अमीर खां संगीत रत्न अवार्ड, शताब्दी सम्मान, अ.पु.वैष्णव परिषद और 7 दिसम्बर को संगीत का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय तानसेन सम्मान अलंकरण प्रदान किया गया। fursat sehore