Tuesday, February 26, 2008

लाड़ली लक्ष्मी योजना बनी करोड़ो ग्रामीणों के लिये खतरे की घंटी..? सीहोर से फुरसत की खास खबर

मुख्यमंत्री के ग्रह जिले सीहोर में लाड़ली लक्ष्मी से हुई ठगी
सीहोर 25 फरवरी (आनन्द गाँधी)। फागुन के इस मौसम में कल एक महिला और दो पुरुषों की जोड़ी ने कमाल ही कर दिया। वह शहर में ही इन्द्रानगर कालोनी पहुँचे और यहाँ स्वयं को मुख्यमंत्री का आदमी बताकर लाड़ली लक्ष्मी योजना के नाम पर कई लोगों को एकत्र किया....फिर कहा कि सब 100-100 रुपये जमा करवा दो और अपने-अपने नाम और बेटी का नाम लिखा दो, यह विशेष योजना लाड़ली लक्ष्मी योजना है जिसमें सबको दो-ढाई लाख रुपये हर बच्ची को मिलेंगे। अभी बस 100 रुपये देना है।
इनके आसपास भारी भीड़ लग गई, लोगों में होड़ मच गई कि वह अपना नाम पहले लिखायें। कुछ ही देर में इन लोगों ने 2-3 हजार रुपये एकत्र कर लिया.....इस प्रकार खुले आम मुख्यमंत्री की लाड़ली लक्ष्मी से शहरवासी ठगा गये। लेकिन इन ठगों से भी बढ़कर निकला एक पुलिस वाला जो यहाँ आया और ठगों से 'संतुष्ट' होकर उन्हे छोड़ कर चल दिया....फिर जब लोगों ने इस पुलिस वाले से शिकायत करने का प्रयास किया तो पुलिस वाले ने इन्द्रा नगर के लोगों को खूब डांट पिलाई और कहा वह (ठग) जो कर रहे हैं उन्हे करने क्यों नहीं देते वह सब ठीक कर रहे हैं......।
जब शहर के लोगों को यह लोग ठग कर ले गये तो फिर विशाल ग्रामीण क्षेत्रों के लाखों लोग जिन्हे सही से लाड़ली लक्ष्मी की जानकारी ही नहीं है उनको यह लोग कितनी आसानी से लूटेंगे ? इन ठगों के माध्यम से अब ग्रामीणों पर खतरे की घंटी मंडरा रही है ? एक बात स्पष्ट हो गई है कि जिला प्रशासन जब शहर में लाड़ली लक्ष्मी योजना क्या है ? यही नहीं बता सका है तो मुख्यमंत्री की इस योजना का क्या खाक प्रचार-प्रसार चल रहा होगा ? प्रचार-प्रसार के अभाव में लाड़ली लक्ष्मी से प्रदेश के करोड़ो ग्रामीणों पर एक तरह से खतरे की घंटी मंडरा रही है...? इस छोटी-सी घटना से बहुत बड़ी शिक्षा लेने की आवश्यकता प्रदेश शासन और मुख्यमंत्री को है....घटनाक्रम पर एक नजर।
हुलिये से टपोरी, कपड़े भी हल्के किस्म के और बातचीत में औसत लेकिन धूर्त व चालाक दो व्यक्ति के साथ एक इसी किस्म की महिला थी इस तिगड़ी ने कल इन्द्रानगर में कमाल कर दिया। महिला और दो पुरुष की यह जोड़ी कहीं से एक फटा-पुराना रजिस्टर हाथ में लेकर और एक लीड के साथ इन्द्रानगर में आये थे। इन्होने एक-एक घर जाकर स्थानीय लोगों को समझाना शुरु किया कि ''हम मुख्यमंत्री के आदमी हैं....आपकी बेटी के लिये आये हैं। आप आज 100 रुपये जमा करवाकर अपनी बेटी का नाम लिखवा दो, कल हम फिर एक फार्म लाकर उसे भर देंगे और रिसिप्ट भी दे जायेंगे, इससे आपकी बेटी को जब वो बड़ी हो जायेगी तो सीधे 2 लाख से ऊपर दो-सवा दो लाख रुपये मिलेंगे।
अभी रुपये जमा करवा दो, हमें आगे जाना है...'' रविवार के दिन इन्द्रा नगर के जैसे शांत क्षेत्र में जब इस तिगड़ी ने 100-100 रुपये में बीमा कर लड़कियों को सीधे मुख्यमंत्री द्वारा दो-सवा दो लाख रुपये देने की बात शुरु की तो इनके आसपास भीड़ लग गई। लाड़ली लक्ष्मी योजना के कुछ रंगीन छपे कागज भी इनके पास थे जिन्हे यह दिखा-दिखाकर मुख्यमंत्री के नाम का प्रभाव जमा रहे थे। करीब घंटे भर में इन्होने इस क्षेत्र में ऐसा जादू चलाया कि फिर यह जिस घर पर जायें वहाँ भीड़ लगने लगी, लोग खुद इनको सहयोग करके रुपये दिलाने लगे और धीरे-धीरे इनके पास रुपयों का भंडार जमा होने लगा...।
इधर इनके पहनावे पर शक करते हुए क्षेत्र के कुछ युवकों को विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन वह भी चूंकि मुख्यमंत्री के कागजात, उनके फोटो लगे चित्र देख रहे थे जिस पर लाड़ली लक्ष्मी योजना का प्रचार-प्रसार था तो चुप हो गये। इस पर यहीं क्षेत्र के एक समाजसेवी को वह यह कहकर बुलाकर ले आये कि आप चलो आप देख लो, वो लाड़ली लक्ष्मी वाले लोग आये हैं, मुख्यमंत्री ने भेजा है, एक बार आप कम से कम उनसे बात तो कर लो।
स्थानीय समाजसेवी आये तो उन्होने पूछताछ की, तब पता चला कि मामला संदिग्ध है। लेकिन इसी दौरान दृश्य बदल गया....!
और इंट्री हो गई एक पुलिस वाले की
इस पुलिस वाले ने आते ही जब तीनों ठगों को देखा तो जाने कैसे वो मामला समझ गया। इस दौरान युवक भड़कने की स्थिति में आ गये थे। तो पुलिस वाले ने इन्द्रा नगर के युवकों और पुरुषों को तेज आवाज में डांट पिला दी कहा कि उन्हे काम क्यों नहीं कर देते हैं, दूर हटो, वह जो कर रहे हैं करने दो। परेशान मत करो और इस प्रकार उसने पक्ष लेकर उन ठगों को किसी तरह यहाँ से सुरक्षित निकालने का प्रयास किया।
इतना कहकर पुलिस वाला तत्काल अपना दो पहिया वाहन चालू कर आगे बढ़ गया। इसके बाद स्थानीय समाजसेवी के कारण चूंकि ठगों की पोल खुल चुकी थी इसलिये उनकी आंशिक धप चुटाई हुई, ठगों ने धमकी दी कि पुलिस हमारी है, अभी तुम्हे मजा चखा देंगे। इस पर भी उनसे सबके रुपये वापस करवाये गये। और चूंकि पुलिस कार्यवाही कर ही नहीं रही थी इसलिये उन्हे छोड़ दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि इन ठगों को ग्रामीण क्षेत्राें में ठगी करने जाना था। क्योंकि उनके बातचीत व्यवहार से लग रहा था कि उन्हे ग्रामीण क्षेत्रों में जाना तय था वह रास्ते में रुक गये हैं। पुलिस वाले ने भी जिस प्रकार उन्हे देखा और बड़ी अदाकारी से मदद कर दी उससे लगता है कि पुलिस वाले को भी मालूम था कि यह क्या कर रहे हैं। ठग और पुलिस की आपस में बातचीत जो कुछ हुई वह समझ तो नहीं आ सकी लेकिन लोग अनुमान लगाते रहे कि संभवत: उन्हे कुछ गांवों में जाना था।
इस दृष्टि से स्वयं ही समझा जा सकता है कि यदि इस प्रकार लाड़ली लक्ष्मी के नाम से मुख्यमंत्री के फोटो लगे पम्पलेट पोस्टर जो थोड़ी बहुत मात्रा में ही छपवाये जाते हैं, उन्हे इन ठगों ने जिस प्रकार इस्तेमाल किया है वैसा ही इस्तेमाल न सिर्फ पूरे सीहोर जिले के बल्कि प्रदेश भर के ग्रामीण क्षेत्रों की भोली जनता तो ठगने में उपयोग किया जा सकता है। जब शहर के आम नागरिक छोड़ कई सक्रिय समाज सेवियों तक को नहीं मालूम की लाड़ली लक्ष्मी योजना के आवेदन फार्म कहाँ भराते हैं ? यह कैसी योजना है ? कितने रुपये का? कितने दिनो का? कितनी उम्र तक की बच्ची का बीमा होता है ? तो फिर आम जनता और ग्रामीण क्षेत्रों की भोली भाली जनता को क्या मालूम । उन्हे तो बस अखबारों में शिवराज सिंह चौहान के बड़े-बड़े फोटो और हाथ में एक बच्ची को पकड़े हुए चित्र देखने को मिल रहे हैं, जिससे उन्हे यह मालूम पड़ रहा है कि लड़कियों का बीमा हो रहा है। कहाँ हो रहा है ? कौन कर रहा है ? यह 98 प्रतिशत प्रदेश वासियों को नहीं मालूम। इस प्रकार गलत-सलत घटिया प्रचार सामग्री के कारण ऐसी स्थिति बन रही है। प्रदेश भर में जगह-जगह एक बच्ची को हाथ में पकड़े मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री का चित्र लगे होर्डिंग तो लगवाये गये हैं लेकिन लाड़ली लक्ष्मी की गणित किसी को समझ ही नहीं आ रही है।
सिर दिया है ओखली में तो फिर दुचने-पिटने से क्या डरना वाली कहावत यहाँ सिध्द होती है कि यदि लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रचार-प्रसार पर करोड़ो रुपये बर्वाद किये ही जा रहे हैं तो उन्हे फिर व्यवस्थित प्रचार कराने की आवश्यकता है। यहाँ राजधानी से लगे हुए जिला मुख्यालय पर ही रहने वालों को यह नहीं मालूम की लाड़ली लक्ष्मी योजना में क्या-क्या होता है ? तो इसमें जिला प्रशासन कितना बड़ा दोषी है यह बात समझ में आती है लेकिन फिर पूरे प्रदेश में दूरस्थ क्षेत्रों में क्या स्थिति होगी यह भी चिंता का विषय है। जब पुलिस ने मुख्यमंत्री के नाम पर ठगी करने वालों को संरक्षण दे रही हो, तो फिर समझ में आता है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन कितना बैखोफ है, हालांकि पुलिस स्थानीय भाजपा नेताओं को तो जानती है कि वह बेचारे पूरे झूम-झूमकर भी एक टीआई को नहीं हटवा सकते, तो फिर मुख्यमंत्री क्या खाक कर सकता है। पुलिस ने ठगों को संरक्षण देकर एक तरह से उन्हे भारत की इस सबसे अच्छी योजना पर कुठाराघात करने के लिये छोड़ दिया है। लाड़ली लक्ष्मी योजना के नाम पर अब ऐसे ठग ग्रामीण क्षेत्रों में कितने लोगों को लूटेंगे? क्या ग्रामीण क्षेत्रों से यह जानकारियाँ उभरकर आयेंगी ? क्या अभी लूट नहीं हो रही होगी ? क्या प्रदेश के एक लाख से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं न कहीं इस लाड़ली लक्ष्मी के कारण मुख्यमंत्री के नाम से ठगी नहीं हो रही होगी ? स्थानीय जिला प्रशासन को इस मामले में गंभीरता बरतने की आवश्यकता है। साथ ही ऐसे दुराग्रही पुलिस वाले पर भी कार्यवाही सुनिश्चित की जाना चाहिये। वह तो भला हो स्थानीय समाजसेवी का जिसके कारण लोगों के रुपये बच गये। sehore fursat