जिस प्रकार किसी मेहमान के साथ व्यवहार किया जाता है ठीक उसी प्रकार नगर में हर बार सीहोर में मुस्लिम वर्ग के साथ व्यवहार होता देखा जाता है। यह कहाँ तक न्यायोचित है। एक तरफ सीहोर के राष्ट्रवादी मुस्लिम वर्ग के लोग हमेशा भारतवर्ष की संस्कृति में मिल-जुल रहना पसंद करते हैं और दूसरी तरफ उनके साथ राय शासन का ही एक विभाग कुछ ऐसा व्यवहार करता है जैसे वह कोई मेहमान हों.....।
असल में यहाँ बात विद्युत मण्डल की हो रही है जिसने इस बार राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर भी विद्युत कटोती जारी रखी । मण्डल ने तो विद्युत ही काटी लेकिन यहाँ नगर के नागरिकों को काटो तो खून नहीं वाली कहावत चरितार्थ हो रही थी। देश के इस महानतम राष्ट्रीय पर्व के दिन भी मण्डल द्वारा विद्युत की कटौती किये जाने को लेकर दिनभर तरह-तरह की चर्चाएं जारी थी और इन चर्चाओं में यह चर्चा भी जोरों पर थी कि आखिर मण्डल जानबूझकर ऐसी हरकतें क्यों करता है ? क्या दो-तीन दिन पूर्व से मात्र चार घंटे की कटौती को बराबर करके 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर आपूर्ति नहीं की जा सकती थी ? क्या बहुत ज्यादा जरुरी था जो गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व पर भी लाल किले से हो रहे सीधे प्रसारण मे विद्युत मण्डल ने विघ्न उत्पन्न कर दिया। क्या बहुत जरुरी था जो हर एक विद्यालय में सुबह झण्डा वंदन के लिये तैयार होकर जा रहे विद्यार्थियों को परेशान किया गया ? गणतंत्र दिवस पर सुबह-सुबह उठे नन्हे बच्चों को न तो हीटर से गर्म पानी मिल सका और ना ही विद्युत आपूर्ति होने के कारण वह सही से तैयार हो सके। भागमभाग अलग थी की झण्डा वंदन के लिये जल्दी से जाना है क्योंकि विशेष कार्यक्रम और विशेष अतिथि इस दिन हर एक विद्यालय में आते हैं ? आखिर क्या जरुरत थी कि सुबह निश्चित 6 से 8 ही विद्युत काटी जाती एक दिन पहले अधिक विद्युत काटकर या रात को विद्युत आपूर्ति बंद करके भी तो इसकी पूर्ति की जा सकती थी ? लेकिन मण्डल अपनी दोहरी नीति से कभी बाज आया है जो गणतंत्र दिवस के दिन आ जाता ?
विद्युत मण्डल की इस लापरवाही के कारण नगर में दिनभर चर्चा रही थी कि आखिरकार जब देश के राष्ट्रीय पर्व पर विद्युत काटी गई तो फिर ईद पर क्यों नहीं काटी गई? मण्डल अक्सर इस प्रकार की नीति चलाकर नगर में तरह-तरह की चर्चाओं को गर्म करवा देता है। आखिर मण्डल मुस्लिम वर्ग के साथ इस प्रकार का पक्षपात करके उन्हे क्या बताना या दिखाना चाहता है ? किसी मेहमानों की तरह सा व्यवहार मण्डल क्यों हर बार इस वर्ग से करता है ? क्योंकि जो मण्डल गणतंत्र दिवस पर विद्युत आपूर्ति नहीं कर सकता वह ईद को कर रहा हो तो निश्चित ही समझा जा सकता है कि मण्डल कहीं कोई संदेश या संकेत देना चाहता है ? उसका जो भी संदेश या संकेत हो उससे हमें कोई लेना-देना नहीं है। हमारा तो सीधा साधा मतलब है कि इस वर्ग के साथ इस प्रकार का व्यवहार कर क्यों मण्डल द्वारा इन्हे देश की मुख्यधारा से अलग-थलग करने का कुत्सित प्रयास किया जाता है। आखिरकार क्यों उनसे समान व्यवहार नहीं रखा जाता। क्यों उन्हे कुछ आभास कराने का प्रयास हर बार विद्युत मण्डल किया करता है। वह क्या चाहता है? स्पष्ट कर दे कभी मण्डल के बिलों में ईद मुबारक छाप दिया जाता है तो कभी कुछ कर दिया जाता है। यह जोड़ने का प्रयास है या तोड़ने का ? मण्डल की इस घटिया नीति से राष्ट्रवादी मुस्लिम भी नाराज दिखाई देते हैं। अच्छा हो मण्डल अपनी नीतियों में सुधार करे।