Wednesday, January 16, 2008

बसंत उत्सव आयोजन समिति के आव्हान पर 356 शहीद क्रांतिकारियों की समाधि पर श्रद्धांजली हुई

सीहोर 14 जनवरी (फुरसत)। नगर के गौरवमयी 1857-1858 के स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद हुए जिन 356 शहीदों को 14 जनवरी 1858 को सामूहिक रुप से गोली मार दी गई थी उनका स्मरण करते हुए आज बसंत उत्सव आयोजन समिति के आव्हान पर आयोजित श्रद्धांजली समारोह में नगर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूज्‍यनीय संत श्री समताराम जी महाराज रामजीराम रामद्वारा थे, कार्यक्रम की अध्यक्षता राकेश राय नगर पालिका अध्यक्ष ने की जबकि विशेष अतिथि के रुप में भोपाल से पधारे हेमंत जी मुक्तिबोध तथा भारतीय इतिहास संकलन समिति के प्रांतीय उपाध्यक्ष दिलीप जी बेहरे भी विशेष रुप से उपस्थित थे।
बसंत उत्सव आयोजन समिति के आव्हान पर सैकड़ाखेड़ी मार्ग बस स्टेण्ड के सामने स्थित ऐतिहासिक समाधि पर श्रद्धांजली सभा का आयोजन रखा गया था। प्रात: 10.00 बजे कार्यक्रम स्थल पर बजे देशभक्ति गीतों ने वातावरण में राष्ट्रीय भावना का ओज भर दिया था। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मुख्य अतिथि संत समताराम जी महाराज, अध्यक्ष राकेश राय, विशेष अतिथि हेमंत जी मुक्तिबोध ने भारत माता के चित्र के समक्ष समाधि पर दीप प्रवलित किया और कार्यक्रम की अनौपचारिक शुरुआत की। इसके बाद सभी उपस्थित जन ने समाधि स्थल पर पुष्पांजली अर्पित कर शहीदों को नमन किया।
सिपाही बहादुर सरकार के गौरवमयी इतिहास और वर्तमान में देश के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन की 150 की बरसी पर अपना ओजस्वी उद्बोधन देते हुए हेमंत जी मुक्तिबोध ने कहा कि 1857 का महासंग्राम एक रणनीति पूर्वक किया गया स्वतंत्रता आंदोलन था जिसमें न सिर्फ देश राजा-रजवाड़े प्रमुखता से जुड़े हुए थे बल्कि सारे भारतीय सैनिकों ने भी इसमें पूरा सहयोग किया। तभी मेरठ उठी क्रांति मंगलपाण्डे की आवाज में एक क्रांति की वाला बनकर हर एक भारतीय के मन को छू गई। देशभर में सैनिक संगठित हो आजादी के लिये उठ खड़े हुए। रानी लक्ष्मी ने नन्ही उम्र में ही वीरता वह अदम्य परिचय दिया जिसका उदाहरण मिलना मुश्किल है। श्री मुक्तिबोध ने आजादी के पहले स्वतंत्रता आंदोलन का महत्व प्रतिपादित करते हुए कहा कि यह गदर नहीं था। यह व्यवस्थित आंदोलन था। श्री मुक्तिबोध ने सीहोर के जाबांज क्रांतिकारियों को नमन किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रथम नागरिक राकेश राय ने यहाँ अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि उन्होने गत वर्ष ही 11 हजार रुपये की राशि अपनी तरफ से देने की घोषणा कर दी है साथ ही जब कभी भी यह जमीन सुरक्षित हो जायेगी या शासन-प्रशासन इसे शहीद उद्यान के रुप में सुरक्षित करेगा तब नगर पालिका यहाँ तत्काल आवश्यक निर्माण कार्य करायेगी।
कार्यक्रम संयोजक बसंत उत्सव आयोजन समिति की तरफ से आनन्द भैया गाँधी ने 356 क्रांतिकारियों की शौर्य और वीरता के संबंध जिन इतिहास की पुस्तकों हयाते सिकन्दरी, भोपाल गजेटियर तथा मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग की पुस्तक सिपाही बहादुर में उल्लेख मिलता है की सविस्तार जानकारी दी तथा साथ ही सैकड़खेड़ी मार्ग पर अंग्रेजों के जमाने के शेष रह गये अवशेषों की जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि किस प्रकार यहाँ चाँदमारी होती थी और जनरल ह्यूरोज ने एक साथ 356 क्रांतिकारियों को खड़ा कर चांदमारी के स्थान पर गोलियों से भून दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संतश्री समताराम जी महाराज ने कहा कि क्रांतिकारियों ने तो क्रांति कर दी अपना सर्वस्व इस भारत की पूज्‍यनीय धरती पर न्यौछावर कर दिया लेकिन आज हमारा कर्तव्य है कि उनके स्मरण के लिये भी हम कुछ करें। कार्यक्रम के अंत में नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय ने संक्रांति पर्व पर सभी को लड्डु वितरित कराये। बसंत उत्सव आयोजन समिति की और से कार्यक्रम का आभार व्यक्त करते हुए आशीष गेहलोत युवा पार्षद ने नगर पालिका के सहयोग के लिये आभार व्यक्त किया। जबकि कुशल संचालन पंकज पुरोहित सुबीर ने किया। कार्यक्रम में बहुत बड़ी संख्या में नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित हुए और उन्होने श्रध्दांजली अर्पित की। अनेक संगठनों ने भी आज यहाँ श्रध्दांजली कार्यक्रम किया। नेहरु युवक केन्द्र के कार्यकर्ताओं ने नगर के प्रमुख मार्गों से एक रैली निकालकर समाधि स्थल पहुँचे और श्रध्दांजली अर्पित की।