Wednesday, December 16, 2009

डेढ़ करोड़ की सनसनीखेज ठगी हुई, कई किसानों की फसल ले उड़े 3 ठग, 500 रुपये अधिक के भाव खरीदते थे फसल

पुलिस को अभी तक नहीं मालूम, किसान लुटने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठे, स्थानीय नेता व जनप्रतिनिधि 1 माह बाद भी कुंभकरण बने हुए

सीहोर 14 दिसम्बर (अबतक)। ऊंचे दाम पर फसल खरीदने का लालच देकर करीब डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की सोयाबीन की फसल लेकर 3 ठग चम्पत हो गये हैं। इतना सोयाबीन ठगने के लिये चोरों ने 4-5 गांव के किसानों को पहले अपने झांसे में फंसाया और फिर वो फसल ले उड़े। 1 महिने पूर्व सारा बोरिया-बिस्तर बांधकर भागे ठगों से ठगाये किसान इतने अधिक दुखी और पीड़ित हैं कि अभी तक वो अपने ठगा जाने की बात पुलिस को भी नहीं बता पाये हैं। ना तो शासन तक यह खबर पहुँच पाई है कि आखिर उसके जिले के किसानों को कौन ठग ले गया और ना ही क्षेत्र के विधायक या जनप्रतिनिधियों, ग्राम पंचायत सदस्यों को ही इस महत्वपूर्ण घटना के संबंध में कोई जानकारी है अथवा है भी तो यह लोग आखिर अब तक मौन क्यों है ? उधर बिडम्वना यह है कि किसान आज भी यह आस लगाये बैठे हैं कि आज नहीं तो कल वो व्यापारी जरुर आयेगा और उन्हे उनका रुपया चुका देगा....।

यहां हम जिस सनसनीखेज ठगी की बात कर रहे हैं वह डेढ़ करोड़ रुपये से भी अधिक की है। इतनी बड़ी राशि की ठगी किसी एक व्यापारी या किसान के साथ नहीं हुई है बल्कि 4-5 गांव के कई बड़े-बड़े किसानों के साथ यह ठगी का मामला हुआ है। इन किसानों से पिछले कुछ समय से अपना व्यवहार बनाकर उनका सोयाबीन सीधे 500 रुपये तक अधिक भाव में खरीदने वाले ठगों ने यह कारनामा कर दिखाया है। ठग एक ही परिवार के हैं और यह तीन ठग थे, तीनों भाई हैं, जिन्होने कई किसानों को ऊंचे दाम पर सोयाबीन खरीदकर अपने झांसे में लेना शुरु कर दिया था।

घटना का तारतम्य जिले के आष्टा तहसील के खाचरौद थाना अन्तर्गत शुरु होता है जहाँ के ग्राम नीलबड़ सहित ग्राम सामरी, उमरधड़, पगारिया हाट, खजूरिया, कन्नौद मिर्जी, लाखिया, बांदरिया आदि ग्रामों में इन ठगाें ने अपना कमाल दिखाया है। यहां पिछले कुछ समय से व्यापारी बनकर रह रहे एक ही परिवार तीन भाईयों ने यह कारनामा किया है। इन लोगों ने आसपास के सभी ग्रामों के किसानों से अपना व्यवहार बनाया। फिर उनका सोयाबीन बाजार से करीब 500 रुपये अधिक में खरीदा। किसानों को उसका दाम भी नगद दिया। कुछ किसानों को रुपये भी उधार दिये, और इस प्रकार धीरे-धीरे व्यवहार बनाते रहे। अब इस वर्ष की सोयाबीन फसल तक जब यह क्षेत्र के एक बड़े व्यापारी के रुप में पहचान बना चुके थे और पुराने व्यापारी के रुप में स्थापित थे तब इन्होने सभी ग्रामीणों से कहा कि हम तुम्हारा सोयाबीन 500 रुपये अधिक में खरीद रहे हैं लेकिन बाहर ले जाकर बेचने के बाद ही रुपया तुम्हे दिया जा सकता है। किसान तो इन पर विश्वास करता ही था। सारे ग्रामीणों ने अपना अनाज इन्हे देना शुरु कर दिया और यह अनाज ढोकर दूर ले जाकर बेचते रहे। जब सोयाबीन का पूरा मौसम समाप्त हो गया तब इन ठग व्यापारियों ने अपना पूरा सामान बोरिया-बिस्तर बांधकर यहाँ से गायब हो गये हैं। करीब 1 महिने से अधिक समय हो चुका है लेकिन अभी तक इनका अता-पता नहीं है।

सुविज्ञ सूत्रों का कहना है कि करीब डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का अनाज लेकर गये सिध्दिकगंज थाने के नीलबड़ ग्राम के यह व्यापारी अभी तक गायब हैं। और इनका कहीं अता पता नहीं चल पा रहा है। सारी खोज-बीन बेकार साबित हो रही है।

वो बैंक से उठाया वाहन भी दूसरे के सिर मांड गये

इन व्यापारियों की चालाकी देखिये कि इन्होने एक बैंक से ऋण लेकर बकायदा एक माल वाहक वाहन खरीदा था। अब जब इन्हे क्षेत्र छोड़कर भागना था तो इन्होने यह वाहन अपने ही एक परिचित ग्रामीण को रखने के लिये दे दिया। वो समझा कि वाहन उसको मिल गया है। जबकि उधर इन्ही व्यापारियों ने बैंक को सूचना दे दी कि वाहन फलानी जगह रखा हुआ है उसे जप्त कर लीजिये।

क्यों नहीं कर रहे किसान शिकायत ? उन्हे शर्म आती है ?

असल में फुरसत ने जब क्षेत्र के किसानों से लगातार बातचीत की तब यह रहस्योद्धाटन हुआ कि जो व्यापारी उनका माल लेकर रफूचक्कर हो गया है उसके खिलाफ वह महज इसलिये शिकायत नहीं कर रहे क्योंकि उन्हे विश्वास है कि वह आज नहीं तो कल वापस आयेगा और उन्हे रुपया देगा। हर एक किसान का लाख रुपये से यादा अटका हुआ है उन्हे डर है की कहीं शिकायत कर दी तो उनके पास ना तो कोई शिकायत के पुख्ता कागजात हैं और ना ही सबूत। ऐसे में यदि उक्त व्यापारी ने बाद में शिकायत से नाराज होकर यह कह दिया अब तुम्हारा रुपया वापस नहीं देंगे तो वह क्या कर लेगा?

आखिर किसने डराया ठगाये किसानों को ?

यहाँ 4-5 ग्रामों के बड़े-बड़े किसानों को आखिर किस बात का डर है कि जो वह अब तक पुलिस के सामने नहीं आये हैं। सूत्रों का कहना है कि इन किसानों को उक्त व्यापारियों के रिश्तेदारों से भी बातचीत की है। जिससे उन्हे यह विश्वास जमा हुआ है कि आज नहीं तो कल उक्त ठग व्यापारी अवश्य आयेंगे, और जब वह आयेंगे तब यदि उन्होने शिकायत करने के कारण नाराज होकर रुपया देने से मना कर दिया तो किसानों को नुकसान होगा। दूसरी और पुलिस से शिकायत करने पर मामला और उलझ ना जाये इसलिये किसान इसी में खैर मना रहे हैं कि चुप रहो और इंतजार करो। किसान अपने स्तर पर महिने भर से इन व्यापारियों को खोजने में भी लगे हुए हैं लेकिन अभी तक उन्हे यह नहीं मिल सके हैं।

जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा?

जिला पुलिस अधीक्षक श्री पाराशर को जब फुरसत ने उक्त ठगी के संबंध में जानकारी दी तब उन्होने कहा कि यह घटना जिस प्रकार से घटित होना आप बता रहे हैं वह वाकई दुखद है, लेकिन जब तक किसान स्वयं आगे आकर शिकायत नहीं करेंगे तब तक पुलिस इस मामले में क्या कर सकती है? फिर भी हम प्रयास करेंगे की मामला किसी तरह सुलझे।

अनुविभागीय अधिकारी ने कहा कि हम कुछ नहीं कर सकते ?

अनुविभागीय अधिकारी राजस्व रवि शंकर पटेल आष्टा को जब उक्त संबंध में जानकारी दी गई तो उन्होने कहा कि ना तो हमारे पास ऐसी कोई जानकारी आई है और ना ही किसी ने शिकायत की है। उन्होने कहा कि यदि कोई शिकायत कर भी देता तो भी हम कुछ नहीं कर सकते, यह हमारे अधिकार क्षेत्र की बात नहीं है, इसमें पुलिस को ही कुछ करना चाहिये।


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