Sunday, June 1, 2008

जितने बोर हुए हैं उतनी ही अलग-अलग दरों पर मोटर डली? आखिर क्या है राज पालिका ने कर दिया कमाल, एक काम के लिये हजार तरह के दाम

सीहोर 31 मई (नि.सं.)। नगर पालिका ने हाल ही में ढेर सारे बोर कराये हैं कुछ ठेकेदारों को इससे अच्छा खासा लाभ हो गया है। एक पार्षदों की पैनल को भी अच्छी खासी मोटी कमाई इस प्रकार हो गई है जिसकी चर्चाएं चौराहों पर हैं। पिछले दिनों यह पार्षद खूब उचक रहे थे जिन्हे काम देकर ठण्डा कर दिया गया है।
लेकिन अब आश्चर्य की बात है कि नगर पालिका जैसी संस्था में जहाँ हर कार्य के लिये एक निश्चित दर निर्धारित की जाकर निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं वहां इस बार ऐसा क्या हो गया कि जितने बोर हैं उतनी किस्म की मोटरें डलवाई गई हैं और वह भी अलग-अलग ठेकेदारों ने डाली है, अलग-अलग कम्पनी का अलग-अलग मूल्य पर यह लगी हैं। इस मामले की भी जांच की आवश्यकता है।
नगर पालिका में पिछले दिनों पेयजल संकट से बचने के नाम पर अंधाधुंध बोर खनन का कार्य हुआ। संभवत: गफलत में ऐसा भी हो गया कि अधिकांश बोर नदी किनारे बसे कस्बे में हो गये वह भी 8 इंची। किसी ने अपनी महबूबा को खुश कर लिया तो किसी ने अपने बेगम साहिब की इच्छा पूरी कर दी। खैर जो भी हुआ हो बोर तो खुदे ही हैं। इनमें केसिंग भी डला है। केसिंग डला है तो पूरा ही डला होगा वरना पानी कैसे बाहर निकलेगा।
इन बोरों में मोटरे भी डली हैं। बस इन्ही मोटरों को लेकर चर्चाएं सरगर्म हैं कि आखिर यह अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा क्यों डाली गई हैं। मतलब अनेक ठेकेदारों ने इसका कार्य किया है। आखिर जब मोटर डलना एक ही काम है तो फिर इसे अलग-अलग ठेकेदारों से क्यों कराया गया है। किसी एक ही ठेकेदार से इसे पूर्ण रुपेण क्यों नहीं कराया गया ? आखिर एक ही मूल्य तय क्यों नहीं किये गये ? इस कारण कुछ नलकूपों में जो मोटरें डाली गई हैं उनका मूल्य बहुत अधिक है जबकि कुछ का मूल्य उससे मिलता-जुलता नहीं है। आखिर ऐसा क्यों ? जिला प्रशासन के एसडीएम साहब ने नगर पालिका की व्यवस्था को देखने का जिम्मा स्वयं ही उठा लिया था और इस संबंध में सारे कार्य भी स्वयं की देखरेख में वह कराने पर उतारु थे ऐसे में अब इस तरह के घटनाक्रम पर ऊं गली किस पर उठाई जाये ? आखिर क्या मोटरों को लेकर कुछ व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हुई है क्या ? उसकी जांच की जाना चाहिये ? क्या एसडीएम साहब को इसकी जानकारी नहीं है ? तो क्यों नहीं है और यदि वह जानते हैं तो फिर यह काम करने कौन-सा तरीका है ? इससे मामला संदिग्ध बनता है। नगर पालिका अध्यक्ष और परिषद सहित भाजपाई पार्षद और 13 पार्षदों की पैनल जो आये दिन आंदोलन पर उतारु है वह भी कुछ कहने को तैयार नहीं है। सबकी राजी मर्जी से यह सब कार्य हो रहे हैं। नगर पालिका का मोटर काण्ड बहुत अधिक चर्चाओं में है।