Saturday, July 5, 2008

आजादी के 60 साल बाद देवली ग्राम के आदिवासियों ने पहली बार कलेक्टर को देखा

आष्टा 4 जुलाई (सुशील)। आजादी के बाद से लेकर आज तक अपनी एवं अपने ग्राम की उपेक्षा के शिकार आष्टा तहसील की अंतिम सीमा पर बसे आदिवासियों के ग्राम देवली (जो आज तक राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं है) के आदिवासियों को इस बार उम्मीद की एक किरण नजर उस वक्त आई जब उन्होने अपने ग्राम में पहली बार कलेक्टर को अपने बीच देखा कि कलेक्टर ऐसे होते हैं, ऐसे आते हैं उनके साथ इतने अधिकारी और कर्मचारी होते हैं तथा वे जो कह देते हैं वो हो जाता है।
पूरी आष्टा तहसील में यूँ तो कई ऐसे ग्राम हैं जहाँ आदिवासी लोग रहते हैं लेकिन आष्टा तहसील में अरनिया जौहर ग्राम पंचायत में आने वाला देवलीग्राम (जो ग्राम नहीं अरनिया जौहरी का एक मोहल्ला है) जिसमें 99 प्रतिशत आदिवासी परिवार ही रहता है लेकिन इस ग्राम के रहने वालों की समस्याओं को एवं इन आदिवासी परिवारों के उत्थान एवं विकास के लिये आज तक किसी ने ना ही सोचा और ना ही इन उपेक्षितों की और कभी देखा की ये लोग किस हाल में बेहाल रह रहे हैं। जब ग्राम पंचायत अरनिया जौहरी के युवा सरपंच कचरुलाल ने भाजपा जिला अध्यक्ष ललित नागौरी से इस ग्राम के आदिवासियों को एक बार मिलवाकर उनकी समस्याओं से उन्हे अवगत कराकर बताया कि लगभग 200 घरों की बस्ती वाले इस देवली ग्राम जिसमें लगभग 190 घर आदिवासियों के हैं लेकिन आज भी उक्त इतना बड़ा ग्राम राजस्व रिकार्ड में शामिल नहीं है। इतने बड़े उक्त ग्राम को आजादी के लगभग 60 साल बाद भी अरनिया जौहरी का एक मोहल्ला ही माना जाता है जबकि उक्त ग्राम अरनिया जौहरी से लगभग 3 किलो मीटर दूर पहाड़ी पर बसा है। इस ग्राम को राजस्व रिकार्ड में शामिल कराया जाना चाहिये, अरनिया जौहरी से देवली तक 3 किलो मीटर सड़क बनना चाहिये तथा यहाँ पीने के पानी की गंभीर समस्या को हल किया जाना चाहिये। सरपंच कचरुलाल ने ग्राम पंचायत की और से जो प्रयास किये उससे भी उन्हे अवगत कराया तब सरपंच एवं जिला अध्यक्ष ललित नागौरी के प्रयास से सरकार की मंशा के अनुरुप रात्री विश्राम ग्रामीणों के बीच रहकर उनसे मिलना उनकी सुनना और उनकी समस्या को हल करने की योजना के तहत मार्च माह के अंतिम सप्ताह में तत्कालिक जिलाधीश राघवेन्द्र सिंह रात्री विश्राम के लिये देवली ग्राम पहुँचे। उक्त ग्राम के आदिवासियों ने 60 साल में पहली बार अपने ग्राम के कलेक्टर के आगमन पर उनका आदिवासी परम्पराओं के अनुसार नृत्य कर स्वागत सत्कार, सम्मान किया और चौपाल पर बैठे कलेक्टर सिंह को अपनी मांगों से अवगत कराया कि उनकी यह मांग है कि हमारा उक्त ग्राम राजस्व रिकार्ड में दर्ज हो, अरनिया जौहरी से हमारे ग्राम तक सड़क बने, पीने के पानी की समस्या का स्थायी हल हो, और भी कुछ मांगे रखी थी। कलेक्टर श्री सिंह के रात्री विश्राम को 3 माह पूरे हो गये अब इस ग्राम के आदिवासियों को इंतजार है कि कलेक्टर श्री सिंह की उन घोषणाओं के पूरे होने की जो वे आदिवासियों के बीच करके आये थे। श्री सिंह का इसी बीच अब स्थानान्तर हो गया है अब उनके स्थान पर नये युवा तथा एक अलग ही सोच रखने वाले कलेक्टर डी.पी. आहूजा सीहोर पहुँचे है। देवली के आदिवासी सिध्दुलाल, दौल सिंह, विक्रम सिंह, मोहन सिंह आदि ने फुरसत को अब अपना माध्यम बनाकर नवागत कलेक्टर श्री आहूजा से मांग की है कि पूर्व कलेक्टर श्री सिंह जो एक आशा उम्मीद की किरण हमें दिखा गये थे वो हकीकत में बदी जाये ताकि हम भी विकास की धारा में आगे बढ़ सकें।
स्मरण रहे उक्त आदिवासी ग्राम राजस्व के रिकार्ड में दर्ज नहीं होने से शासन की कोई भी योजना विकास के कार्य वहाँ नहीं पहुँच पाते हैं जो कार्य योजना स्वीकृत होती है वो अरनिया जौहरी के ग्राम के नाम से स्वीकृत होती है और उसका लाभ यहीं के लोगों को मिलता है। वैसे पंचायत की और से यहाँ कई कार्य कराये जाते हैं लेकिन वो बहुत ही कम होते हैं। फुरसत कार्यालय पहुँचे आदिवासियों को दावा है कि पूरी आष्टा तहसील में केवल हमारा ही ग्राम पूरी तरह से आदिवासी ग्राम है क्योंकि यहाँ लगभग 200 घरों की बस्ती है इसमें से 190 घरा आदिवासियों के हैं। सरकार आदिवासियों के उत्थान, विकास एवं उन्हे विकास की धारा में साथ लाने की बड़ी-बड़ी घोषणा कर रही है वहीं हमारा ग्राम राजस्व रिकार्ड में दर्ज होने के लिये 60 साल से तरस रहा है। इस कारण से हम आदिवासी समस्याओं के आगोश में रह रहे हैं और जी रहे हैं। देवली ग्राम के सभी लोगों को इस बार पूरी उम्मीद है कि हमारी समस्याओं को हल करने के लिये जो प्रक्रिया राघवेन्द्र सिंह कलेक्टर के आगमन के बाद से शुरु हुई वो पूरी होगी । देखना है इन पीडित, शोषित और समस्याओं के बीच रह रहे आदिवासियों की समस्या कब तक हल होती है।