सीहोर 22 जून (नि.सं.)। सेवा कालीन शिक्षक प्रशिक्षण शिविर ग्रीष्म अवकाश के दौरान जिले भर में चलाया गया, जहाँ जिला मुख्यालय के प्रमुख विद्यालयों में गंज स्थित सुभाष विद्यालय, महारानी लक्ष्मी बाई कन्या विद्यालय, स्वामी विवेकानंद विद्यालय मे प्रशिक्षण चल रहा था वहीं अन्य स्थानों पर भी यह कार्य जारी था। 21 जून को जब यह प्रशिक्षण समाप्त हुआ तो प्रशिक्षण लेने वाले अधिकांश शिक्षकों के मुँह से बरबस ही निकल हाय-रे भैया जान बची, पिंड छूटा....।
असल में ग्रीष्म कालीन प्रशिक्षण शिविन की व्यवस्थाओं का इसमें कोई दोष नहीं है, एक से बढ़कर एक अनुभवी और प्रशिक्षित प्रशिक्षकों ने संस्थाओं में प्रशिक्षण दिया। प्रतिदिन प्रशिक्षक आये और उन्होने अपने विषय की जानकारी दी, लेकिन जो शिक्षक प्रशिक्षण लेने आ रहे थे वह इससे सरोकार रखने को तैयार ही नहीं थे...।
कुछ प्रशिक्षण केन्द्रों में तो प्रशिक्षण लेने आये शिक्षकों ने गड़बड़ी फैलाने में बच्चों को भी पीछे छोड़ दिया। यह कभी पान की पीक कोने में थूक देते, कभी पाऊच कहीं भी डाल देते, कुछ खाने का सामान फेंक देते, इन सामान्य बातों से बढ़कर एक खास बात यह भी रही अधिकांश पुरुष शिक्षक भागने में सबसे यादा आगे रहते थे, वह एक घंटे भर से अधिक रुकने को तैयार नहीं रहते थे, और प्रयास करते थे कि जैसे ही लोगों की निगाह हटे और वह भाग जायें। शिक्षकों के भाग जाने से प्रशिक्षण शिविर में अव्यवस्था हो जाती थी। उपस्थिति दर्ज कराकर ऐसे कई शिक्षकों का भागना आम बात हो गई थी। स्वामी विवेकानंद विद्यालय में तो इस संबंध में जब इस संवाददाता ने निरीक्षण किया तो पता चला कि यहाँ शिक्षकों को रोकने के लिये बाहर गेट ही बंद करना पड रहा है।
गत वर्ष तो इन शिक्षकों के लिये भोजन आदि की व्यवस्थाएं की गई थी लेकिन इस बार इसके स्थान रुपयों का वितरण किया गया।
महिला शिक्षिकाओं ने इसे पिकनिक स्पाट बना लिया था। वह प्रशिक्षण क्या लेती थी बल्कि अपने बच्चों को साथ ले आया करती थीं, और घंटे-दो घंटे समय काटकर, कभी बच्चों को खिलाने में व्यस्त रहकर समय काटती और चली जाया करती थी। इस प्रकार शिक्षक ही नन्हे बच्चों की तरह पढ़ाई बचते नजर आते रहे और 21 जून को प्रशिक्षण शिविर समाप्त हो गया।