सीहोर 8 जून (नि.सं.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गत 17 अप्रैल 2008 को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में निवास करने वाले ऐसे समस्त आवासहीन निर्धन परिवारों को आवासीय पट्टा देने का निर्णय लिया गया है जो 31 दिसम्बर 2007 की स्थिति में शासकीय नजूल अथवा नगरीय निकाय अथवा विकास प्राधिकरण की भूमि पर झुग्गी-झोपड़ी में निवास कर रहे हैं। ऐसे परिवारों को पट्टे की पात्रता की शर्तों का निर्धारण किया गया है। लेकिन सीहोर जिले में इस जानकारी को जानबूझकर छुपाया जा रहा है।
सिर्फ कुछ खास लोगों को इसका लाभ मिल सके इसके लिये प्रशासन लगा हुआ है। कई लोगों ने झोपड़े तान लिये हैं।
मंत्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार यदि व्यापक जनहित में सार्वजनिक उपयोग के लिए झुग्गी बस्तियों को वर्तमान स्थान से हटाना आवश्यक समझा जायेगा तो इन्हें अस्थाई अधिकार पत्र दिए जाकर अन्यत्र व्यवस्थापन की कार्यवाही की जा सकेगी। भूमिहीन व्यक्ति के वास्तविक अधिभोग की भूमि का व्यवस्थापन या किसी अन्य भूमि का आवंटन, जो 450 वर्गफीट से ज्यादा न हो, उसके पक्ष में किया जायेगा। किन्तु इससे अधिक भूमि होने की स्थिति में नगर पंचायत क्षेत्र में 800 वर्गफीट, नगर पालिका क्षेत्र में 600 वर्गफीट और नगर निगम क्षेत्र में 450 वर्गफीट भूमि के व्यवस्थापन की सीमा होगी। ऐसी अतिरिक्त भूमि रिक्त कराकर अन्य पात्र व्यक्ति को आंवटित की जा सकेगी या नगरीय निकाय उसका अन्य रुप में उपयोग कर सकेंगे। यह भी निर्णय लिया गया है कि व्यापक जनहित में और भावी आवश्यकतों को दृष्टिगत रखते हुए, वर्तमान झुग्गी बस्तियों को उनके स्थान से अन्यत्र व्यवस्थापित किए जाने का निर्णय राजधानी, संभागीय मुख्यालय के शहरों और जिला मुख्यालय के शहरों एवं अन्य शहरों के लिए गठित समितियों द्वारा किया जायेगा। यदि व्यापक जनहित में किसी भी समय शासन द्वारा यह आवश्यक समझा जाता है कि पट्टा प्रदाय की गई झुग्गी बस्ती की भूमि किसी सार्वजनिक प्रयोजन के लिए आवश्यक है तो उक्त भूमि का पट्टा निरस्त कर भूमि वापिस ली जा सकेगी और पट्टेधारी को अन्यत्र उचित स्थान पर बसाने की कार्यवाही की जायेगी। यदि कोई झुग्गीवासी किरायेदार के रुप में निवास कर रहा है तब उसे भी पट्टे की पात्रता होगी परंतु झुग्गी के मालिक को पट्टा नहीं दिया जायेगा। पूर्व पट्टेधारी द्वारा पुन: पट्टा प्राप्त करने के आवेदन या गलत जानकारी देने पर उसका यह कृत्य दंडनीय होगा। आवासीय भूमि का पट्टा पति-पत्नी दोनों के संयुक्त नाम से दिया जायेगा। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश के समस्त शहरों में झुग्गी-झोपड़ियों में निवासरत आवासहीनों का सर्वेक्षण कराया जायेगा। यह सर्वेक्षण 15 जून 2008 तक पूर्ण कराये जाने का लक्ष्य है। इसके बाद पट्टों का आवंटन, झुग्गियों के व्यवस्थापन आदि के कार्य पूर्ण कराये जायेंगे। सर्वेक्षण के दौरान पात्र पाये गये आवासहीनों का बायोमेट्रिक सर्वे भी कराया जायेगा जिसे समय सीमा में पूर्ण करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की जायेगी जो इस संबंध में निर्णय लिए जाने हेतु अधिकृत होगी।