आष्टा 19 अप्रैल (सुशील संचेती)। आष्टा की कृषि उपज मंडी एक ऐसी संस्था है जिसमें पूरी तहसील का पालन होता है आष्टा की ए श्रेणी की उक्त मंडी जिसने वर्षों की मेहनत के बाद उच्च स्थान विभिन्न मामलों में प्राप्त किया है। दूर-दूर तक आष्टा मंडी को नगद भुगतान, उच्च क्वालिटी का शरबती गेहूँ भरपूर सोयाबीन आवक के कारण पहचाना जाता है लेकिन कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जिन्हे मंडी की सफलता यहाँ का अच्छा व्यापार इस मंडी से क्षेत्र का विकास, व्यापार जो होता है शायद वो पसंद नहीं है या यूँ कहें कि कुछ ऐसे अदृश्य चेहरे हैं जो इस मंडी को अपनी गंदी राजनीति का अखाड़ा ऐसे कंधो पर बंदूक रखकर बनाना चाहते हैं जिससे वे अपनी गंदी सोच इस मंडी में फैला सकें।
पिछले दिनों अचानक हम्मालों द्वारा कार्य बंद कर देने के बाद जो आक्रोश का लाबा फूटा जिससे मंडी में एक काला अध्याय तो लिखा ही गया लेकिन उसके बाद किसानों ने एवं किसानों की आड़ में उन हम्मालों ने जो मंडी ही इनकी रोजी रोटी है इनके घरों में जो चूल्हे जलते हैं उसके पीछे यही मंडी है ऐसे अदृश्य चेहरों ने मंडी को विवाद की आग में झोंक दिया और उसका परिणाम यह रहा कि आज मंडी को टेक्स का लाखों का नुकसान तो हो ही चुका है और ना जाने कब तक होगा। वहीं किसानों को भी मंडी बंद होने से परेशानी उठाना पड़ रही है, नगर का व्यापार व्यवसाय जिसकी मंडी ही रीढ़ है वो व्यापार व्यवसाय चौपट हो गया मंडी के बंद होने से खास कर कन्नौद रोड का व्यापार तो एक तरह से चौपट-सा हो गया है अभी शादियाँ है इसलिये बाजारों में रौनक दिख रही है नहीं तो मंडी बंद का पूरा असर पूरे नगर पर देखा जा सकता है। मंडी के कृषक प्रतिनिधियों ने अब मुँह खोला है कि कुछ लोग मंडी की छवि के बिगाड़ने एवं भ्रांतियां फैलाने के प्रयास कर रहे हैं। मंडी के संचालकों को सोचना होगा कि क्षेत्र के किसानों ने उन्हे मंडी के विकास किसानों की समस्या हल करने के लिये भेजा है। मंडी के चार जो स्तंभ है व्यापारी, किसान, हम्माल और मंडी प्रशासन इनमें ऐसा सामंजस्य स्थापित कराये की मंडी को चाहते हुए भी किसी की बुरी नजर ना लगे। ऐसे में उन संचालको को भी पहचानना होगा जिन्हे किसानों ने चुन कर भेजा है और वे बात दूसरों की करते हैं। याने की वो किसी के इशारे पर नाच रहे हैं। ऐसे संचालकों की भी खबर लेना चाहिए मंडी को बंद हुए 4-5 दिन हो गये स्थानीय प्रशासन और मंडी प्रशासन अभी भी कोई हल निकालने में सफल नहीं हो पाया है। जल्दी कोई हल निकले इसके आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि उक्त विवाद में राजनीति का प्रवेश हो चुका है।