Sunday, February 24, 2008

...शेखचिल्ली जैसी कल्पना करते हुए रामपुरा जलाशय से पानी लाने की बात कर रहे सीहोर नपा अध्यक्ष राकेश

सीहोर 23 फर (आनन्द गांधी, फुरसत)। सनातन भारतीय धर्म में पानी पिलाने का पुण्य सबसे अधिक माना गया है, यहाँ सम्पन्न लोगों द्वारा समाज के लिये सार्वजनिक प्याऊ बनवाने का महत्व सर्वाधिक रहता है सीहोर में भी कई लोग गर्मी में पेयजल उपलब्ध कराकर पुण्य लाभ कमाते देखे जाते हैं लेकिन नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय और उनकी परिषद मण्डली को नागरिकों के लिये पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रयास करते कभी नहीं देखा जाता। बल्कि जनता के रुपयों पर लम्बा हाथ मारने के लिये हर बार तरह-तरह की नौटंकियों के साथ लाखों रुपये का हेरफेर सिर्फ टेंकरों से पेयजल वितरण को लेकर हो जाता है।
इस वर्ष भी चूंकि बहुत अच्छी बरसात हुई थी इसलिये काहिरी बंधान सहित सारे अन्रू जल स्त्रोत भरा चुके थे लेकिन दिन रात काहिरी बंधान से पानी की चोरी होती रही, जानबूझकर नगर पालिका अध्यक्ष ने व उनकी पार्षद मण्डली ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया, विज्ञप्तियाँ भेजकर खानापूरी कर ली। नाकाम नगर पालिका अध्यक्ष के कारण पेयजल स्त्रोतों से पूरा पानी चोरी जा चुका है जो आगामी गर्मी के लिये पर्याप्त नहीं है।
ऐसे में शेखचिल्ली जैसी कल्पना करते हुए राकेश राय ने विज्ञप्ति जारी की है कि यदि....काश....रामपुरा से पानी छूट जाये तो यहाँ काहिरी बंधान में पानी ही पानी हो जाये....। वह यह भूल गये हैं कि सीहोर की जनता इतनी नासमझ नहीं है कि उसे यह भी ना मालूम हो कि रामपुरा से अब पानी नहीं आ सकता। जनता को ऐसी विज्ञप्तियों से बरगलाने की कोशिश बेमानी है। खैर हकीकत से धरातल से जनता क ो दूर करने का राकेश राय का यह प्रयास कितना बेमानी है और पेयजल की क्या स्थिति है इस पर पढ़िये फुरसत की एक नजर।
ठंड विदा हो चुकी है और ग्रीष्म ऋतु ने अपनी दस्तक दे दी है अब तो रात में ठंड का असर थोड़ा बहुत दिखाई देता है लेकिन दिन का पारा शनै: शनै: बढ़कर अपनी तपिश का अहसास कराने लगा है। ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ होते ही सीहोर नगर में पेयजल का संकट उभरने लगा है।
शहर भर में जहाँ-तहाँ लगे हेण्डपंप बोल चुके हैं नगर पालिका की जल प्रदाय व्यवस्था ठप्प-सी दिखने लगी है। कभी कभार यदि नलों से पानी आता है तो वह भी गंदला और बदबूदार। स्थिति यह है कि न तो काहिरी में और ना ही जमोनिया में पर्याप्त पानी का भंडार बचा है। जलस्त्रोत सूखते जा रहे हैं भूजल दिन व दिन नीचे गिरता चला जा रहा है। शहरवासी पीने के पानी के लिये अभी से इधर-उधर भटकने को मजबूर होने लगे हैं।
ऐसे में नगर पालिका अध्यक्ष का नया नाटक शुरु हो गया है। नाटक करते हुए नगर पालिका अध्यक्ष ने अब अचानक रामपुरा डेम से पानी छोड़ने की मांग कर डाली है। सीहोर की जनता को और अपने ही मतदाताओं को वह जानबूझकर भ्रमित करने के लिये रामपुरा-रामपुरा का राग अलापने का नाटक कर रहे हैं जबकि रामपुरा डेम से पानी सीहोर लाना आज की तारीख में नामुमकि न जैसा हो चुका है फिर भी नागरिकों को यह जताने का प्रयास किया जा रहा है कि नगर पालिका बहुत सक्रिय है।
नगर पालिका द्वारा पानी का उचित प्रबंधन नहीं करने तथा समय रहते नदी-तालाबों से हो रही पानी चोरी को रोकने के कोई प्रयास नहीं करने के कारण नगर के लिये उपयोगी जल स्त्रोत सूख चुके हैं। वैसे भी नगर पालिका ने कभी नगर के ही पुराने जल स्त्रोतों का ध्यान नहीं रखा।
फरवरी माह में ही शहर के कई हिस्सों में पार्वती पेयजल योजना से लगातार पानी प्रदाय नहीं हो सका है। नगर पालिका कभी बिजली कटौती का बहाना बनाती है तो कभी बंधान के मोटर पंप खराब पड़े होने का बहाना बनाकर हाथ झाड़ लेती है।
भूले भटके यदि पेयजल प्रदाय किया भी जाता है तो वह पीने योग्य तो बिल्कुल भी नहीं होता है। उदाहरण के लिये कल गंज क्षेत्र में करीब एक हफ्ते बाद नल चले लोगों ने बड़ी उम्मीद से पानी भरना प्रारंभ किया लेकिन नागरिक उस समय हतप्रभ रह गये जब पानी में फेन आता रहा। मटमैला और बदबूदार पानी देखकर नागरिक उस पानी से अपने घरों का छिड़काव करते दिखाई दिये। गंदगी युक्त बदबूदार पानी से हैरान परेशान नागरिक नगर पालिका की पेयजल प्रदाय व्यवस्था को कोसते रहे।
गंज क्षेत्र में जमोनिया तालाब पेयजल प्रदाय किया जाता है लगता है जो जल प्रदाय किया गया है। वह सीधे ही तालाब से नागरिकों को मुहैया कराया गया है। पानी को साफ करने कराने की भी जहमत उठाना नगर पालिका ने गवारा नहीं समझा।
अब मजे की बात यह है कि नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय ने एक विज्ञप्ति प्रसारित कर कहा है कि इस वर्ष वर्षा कम हुई है जिसके कारण पेयजल स्त्रोतों में जल की कमी है काहिरी, खारपा और जमोनिया तालाब में पानी की पूर्ति के लिये रामपुरा डेम से पानी पार्वती नदी में छोड़ा जाये। रामपुरा डेम पार्वती के उद्गम स्थल पर सिध्दिकगंज क्षेत्र में स्थित है। वहाँ से पार्वती नदी में पानी छोड़ा भी जाता है तो इस बात की कितनी संभावना है कि वह पानी सीहोर की पेयजल से जुड़े खारपा और काहिरी बंधान तक पहुँच ही जायेगा। क्योंकि इन दो बंधानों से पूर्व आष्टा और आष्टा के बाद दो तीन बंधानों के बाद ही खारपा और उसके बाद फिर काहिरी बंधान आता है। जहाँ ग्रीष्म के मौसम में रामपुरा जलाशय से छुड़वाया गया पानी पहुँचना नामुमकिन जैसा हो चुका है।
आष्टा नगर पालिका अध्यक्ष कैलाश परमार जैसी छवि और दमदारी वाली बात हो जो स्वयं अपना दल लेकर रामपुरा से पार्वती के बीच पानी चोरी करने वाले लोगों को रोकते हैं और पूरी दमदारी से चाहे कितनी ही मेहनत लगे आष्टा वासियों के लिये पानी लाते हैं। आज यदि रामपुरा से पानी छूटा भी तो वह पहले तो पार्वती तक आना ही मुश्किल हो जाता है फिर आ भी गया पार्वती में भरा जायेगा और आगे बढ़ेगा तो अगले जलस्त्रोतों व डेम में भराकर आगे ही नहीं बढ़ सकता। क्या इतनी सी समझ पढ़े लिखे समझदार बुध्दीमान नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय में भी नहीं है। राकेश राय का कितना हास्यास्पद तर्क है कि रामपुरा डेम से छोड़े गए पानी से खारपा और काहिरी लबालब हो जायेगी और सीहोर में पेयजल संकट नहीं रहेगा।
नगर पालिका अध्यक्ष को मुंगेरीलाल जैसे सपनों को त्यागकर वास्तविक धरातल पर खड़े होकर गंभीरता के साथ शहर के नागरिकों के प्यासे कंठो की प्यास बुझाने के सार्थक प्रयास करना होगा। इसके लिये वह चाहें तो सीहोर के पुराने पेयजल स्त्रोतों को जीवित करने का सार्थक प्रयास कर सकते हैं। बेंगन घांट का पुराना स्त्रोत जो एक समय संपूर्ण सीहोर की प्यास बुझाने का बड़ा माध्यम था, लाल कुंआ एवं क्षेत्र के जीवित नलकूप शहर की पेयजल व्यवस्था को सुचारु बनाये रखने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं इसके लिये नगर पालिका को अपनी संकल्प शक्ति का परिचय देना होगा। इसके साथ ही सीवन नदी और शहर के बीचों-बीच बहने वाले नाले में भगवान पुरा तालाब से पानी छुड़वाने के गंभीर प्रयास जरुरी हैं। नदी और नाले में भरपूर पानी हो तो शहर की अधिकांश क्षेत्रों के हेण्डपंप, कुएं बावड़ी में पानी के स्त्रोत स्वत: जीवित हो जायेंगे और नागरिकों के पेयजल समस्या का कुछ हद तक निराकरण भी हो सकता है।