Wednesday, February 27, 2008

सीहोर में अब बीच नाले पर हो रहा है पक्का निर्माण कार्य नगर पालिका को सम्पत्ति का ख्याल नहीं

सीहोर 26 फरवरी (फुरसत)। नगर को सुन्दर स्वच्छ बनाने के हसीन सपने दिखाने वाले नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय ने तो नगर के लिये कुछ नहीं किया लेकिन यहाँ नगर पालिका की उदासीनता के कारण अतिक्रमकारियों के हौंसले बुलंद वा बुलंद होते चले गये हैं। पूरा नगर अतिक्रमण की चपेट में है। हर तरफ अतिक्रमण.... अतिक्रमण..... अतिक्रमण। यहाँ तक लोग नल्ले की गंदगी में भी अपना सुन्दर मकान और दुकान बनाने से नहीं चूक रहे हैं। गंज क्षेत्र में नाले पर प्रतिदिन अतिक्रमण हो रहा है। नालियों पर मकान तानना तो दूर अब नालियां पूर कर अतिक्रमण की नई शुरुआत भी हो चुकी है। सडक़ों पर घरों का पानी बहाया जा रहा है। दुकानदारों ने सड़कों पर दुकान का निर्माण कर लिया है।
अतिक्रमणकारियों के बुलंद हौंसले नगर पालिका के अकर्मण्य रवैये और नजुल विभाग की कुंभकर्णी नींद का खामियाजा अब संपूर्ण नगर और नगर वासियों को भोगना पड़ रहा है। अतिक्रमण करने वालों से नदी नाले भी महफूज नहीं दिखाई देते।
अतिक्रमण कर्ताओं की सरेआम सरकारी गैरसरकारी से जहाँ एक और शहर भर अव्यवस्थित होने लगा है वहीं इन अतिक्रमणकारियों की कार गुजारियों को शहर के संभ्रांत लोग भुगतने को मजबूर से होकर रह गये हैं।
शहर की सड़कें, खाली पड़ी भूमि, इन अतिक्रमणकारियों की निगाहों में खटकने लगी है। प्रशासन की उदासीनता ने इन जमीन खोरों के हौंसले बुलंद कर रखे हैं। नगर के प्रत्येक वार्ड में अतिक्रमण-कारियों की कारगुजारियां आये दिनदेखी सुनी जा सकती है। राजनैतिक दल और क्षेत्र के पार्षद भी इन जमीन खोरों की हरकतों से वाकिफ है लेकिन अतिक्रमणकारियों को रोकना तो दूर चाहे अनचाहे इन कथित जनप्रतिनिधियों का उन्हे सहयो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से उन्हे प्राप्त होता रहता है। जब सैयां भए कोतवाल तो डर काहे का वाली कहावत अनुसार जमीन खोर अब नागरिकों का जीना दुश्वार तक करने लगे हैं।
शहर में दो तरह का अतिक्रमण जोरों पर चल रहा है। व्यवसायिक अतिक्रमण और आवासीय अतिक्रमण व्यवसायिक अतिक्रमणकारियों ने जहाँ बाजार का स्वरुप ही बिगाड़कर रख दिया है वहीं आवासीय अतिक्रमण कारियों ने शहर की सम्पूर्ण व्यवस्था पर ही प्रश् चिन्ह अंकित कर दिया है।
आवासीय अतिक्रमण कारियों की निगाहें हमेशा सरकारी और गैर सरकारी खाली पड़ी भूमि पर लगी रहती है और वह हमेशा ऐसे स्थान की तलाश में रहते हैं तथा मौका मिलते ही उस पर अपना कब्जा ठोंक कर उस पर अपना जबरिया हक जता देते हैं। मछली पुल के पास बीच नाले में हो रहा पक्का अतिक्रमण इसका वलंत उदाहरण है।
ऐसे में कोई यदि इन अतिक्रमण कारियों का विरोध करने का साहस जुटाता भी है तो यह जमीन खोर उसे सबक सिखाने से नहीं चूकते हैं।
शहर के गंज, कस्बा, मंडी, फ्री गंज, बेलदार पुरा, सिपाही पुरा, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ आवासीय अतिक्रमण कारियों ने अपने-अपने घरों की सीमा रेखा बढ़ा ली है जहाँ जैसा मौका मिला उन्होने अतिक्रमण कर उसे अपनी सीमा में घेर लिया है।
गंज, कस्बा, सुदामा नगर, फ्री गंज मंडी ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ अतिक्रमण कारियों का सर्वाधिक जोर है । गंज क्षेत्र में तो अतिक्रमणकर्ता रहवासियों ने अपने घरों की नालियाँ समाप्त कर सड़कों की पटरियाँ तक अपने कब्जे में कर कच्चे-पक्के निर्माण कार्य तक करा डाले हैं। नालियाँ बंद होने से जहाँ घरों के निस्तार का गंदा पानी सड़कों पर फैलकर गंदगी पैदा करता है वहीं वाहन और पैदल से आवाजाही करने वालों को परेशानियों के साथ हमेशा दुर्घटनाओं का भय बना रहता है। प्रशासन यदि गंभीरता के साथ शहर में हो रहे इस प्रकार के अतिक्रमण का सर्वे कराए तो और भी अधिक चौंकाने वाले तथ्य उभरकर आयेंगे।
इसी प्रकार व्यवसायिक अतिक्रमणकारी मेरा टेसू यहीं अड़ा की तर्ज पर चाहे जहाँ अपनी गुमठी ठेला अड़ाकर बाजार की आवाजाही को ठप्प कर डालते हैं। गाँधी मार्ग, मेन रोड, न्यू बस स्टेण्ड, कोतवाली चौराहा, नदी चौराहा, गल्ला मंडी चौराहा इन व्यवसायिक अतिक्रमण-कारियों से भरा पड़ा है। बस स्टेण्ड पर आने जाने वाले यात्रियों को तो इन लोगों के पान डब्बों और हाथ ठेलों की वजह से बैठने तक को स्थान नहीं मिल पाता है। कुल मिलाकर नगर पालिका एवं जिला प्रशासन की लापरवाही और उपेक्षा के चलते शहर के विकास का सपना चूर-चूर होने लगा है। पूरा नगर अतिक्रमण की चपेट में आ चुका है। सड़के सकरी हो गई हैं। गलियाँ इतनी सी रह गई हैं कि जिनमें से निकलना दूभर हो गया है। सड़कों पर लोगों के सेफ्टीटेंक बने हुए हैं। न सिर्फ सड़क, नालियाँ बल्कि नगर पालिका की कई सार्वजनिक सम्पत्तियों पर और नजूल विभाग की जमीनों पर भी खुले आम अतिक्रमण पूरे रौब के साथ जारी है। खुद नगर पालिका की सम्पत्तियों की नपा देखभाल नहीं कर रही है। जिससे सम्पत्ति भी नष्ट हो रही है।