शासन की महत्वकांक्षी योजना पर बट्टा लगा रहे हैं नौकरशाह
सीहोंर 31 दिसम्बर (फुरसत)। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंचों पर अपने भाषण के दौरान जिला समाज में खड़े अंतिम व्यक्ति की चिंता करने की बात बार-बार कहते हैं और शासन द्वारा चलाई जा रही दीनदयाल अंत्योदय योजना का बखान करते हैं लकिन मुख्यमंत्री गृह जिले में ही शासन की यह महत्वाकांक्षी योजना बेलगाम अफसरशाही के सामने दम तोड़ती नजर आ रही है। हालात यह हैं कि जिला मुख्यालय पर दीनदयाल अंत्योदय समिति की बैठकों में जिम्मेदार अधिकारी मुँह मोड़ रहे हैं तो जिला अंत्योदय समिति की बैठक ही अभी तक अमल में नहीं आ सकी है। जिसके अध्यक्ष स्वयं जिले के प्रभारी मंत्री ही हैं।
शासन द्वारा समाज के अंतिम पंक्ति ने खड़े गरीब के कल्याण के लिये जिस अंत्योदय समिति का गठन किया गया है उक्त समितियों की महत्वपूर्ण बैठकें मुख्यमंत्री के जिला मुख्यालय पर किस तरह से बेलगाम अफसरशाही के सामने दम तोड़ रही हैं इसका जीता-जागता नमूना पिछले दिनों देखने को मिला।
हुआ यूँ कि 28 दिसम्बर को दोपहर के समय मुख्य नगर पालिका अधिकारी धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने दीनदयाल अंत्योदय समिति की बैठक का एजेण्डा समिति अध्यक्ष सहित 11 सदस्यीय समिति को भेजा। उक्त बैठक के एजेण्डे के अनुसार समिति अध्यक्ष भाजपा नेता मांगीलाल सोलंकी और समिति सदस्य नगर पालिका के बैठक सभागार में पहुँचे हैं लेकिन लंबे समय तक जब बैठक का एजेण्डा जारी करने वाले नगर पालिका मुख्य नगर पालिका अधिकारी धीरेन्द्र श्रीवास्तव नहीं पहुँचे तो समिति अध्यक्ष श्री सोलंकी और सदस्यों ने मुनपा अधिकारी श्री श्रीवास्तव से मोबाइल पर सम्पर्क किया और बैठक में उपस्थित होने के लिये वहाँ जिसके प्रति उत्तर में सीएमओ धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने बैठक में उपस्थित होने पर असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि मैं अभी जबलपुर हूँ और नगर पालिका के सहायक यंत्री को मैने बैठक में उपस्थित रहने के लिये निर्देश दे दिये हैं। मुनपा अधिकारी श्रीवास्तव की उक्त बात सुन भोले-भाले समिति अध्यक्ष मांगीलाल सोलंकी ने समिति सदस्यों और सहायक यंत्री श्री पाण्डेय की उपस्थिति में उक्त बैठक सम्पन्न कर ली। लेकिन बैठक समाप्त होते ही समिति अध्यक्ष और सदस्य जैसे ही नगर पालिका के सभागार से बाहर निकले तो वहाँ उपस्थित एक कर्मचारी ने कहा कि सीएमओ धीरेन्द्र श्रीवास्तव भोपाल नाका स्थित नगर पालिका लेखापाल हरिभान सिंह दाऊ के निवास पर बैठे हैं बस फिर क्या था यह बात सुन समिति अध्यक्ष और सदस्यों के होंश उड़ गये और वह सभी मुनपा अधिकारी धीरेन्द्र श्रीवास्तव को देखने भोपाल नाके पर दाऊ के मकान पर देखने पहुँच गये जहाँ वाकई सीएमओ धीरेन्द्र श्रीवास्तव मौजूद थे। इस बात पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी और भाजपा नेताओं में बैठक में उपस्थित न होने को लेकर श्रीवास्तव से कुछ कहासुनी भी हुई है।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि मुख्यमंत्री जिस योजना का बखान और बड़े-बड़े दावे यदा-कदा अपने भाषणों में करते हैं लेकिन खुद उनके गृह जिला मुख्यालय पर अधिकारी मौजूद रहने के बाद शासन की महत्वाकांक्षी योजना की बैठक में उपस्थित रहने की जहमत नहीं उठाते हैं तो फिर इन महत्वाकांक्षी बैठकों मे लिये गये निर्णयों पर अमल होने की बात दूर की कौड़ी ही लगती है और साथ ही प्रदेश भर में जिस बेलगाम अफसरशाही की बात कही जा रही है यह स्थिति मुख्यमंत्री के स्वयं के गृह जिला मुख्यालय पर भी देखने को मिल रही है। लेकिन इस पूरे मामले में जिम्मेदार जिला प्रशासन के नौकरशाह कभी भी इस बढ़ी चूक के लिये कार्यवाही तो दूर अपने अधिनस्थों से सवाल खड़े करने की जहमत भी नहीं उठाते हैं।
सीहोंर 31 दिसम्बर (फुरसत)। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंचों पर अपने भाषण के दौरान जिला समाज में खड़े अंतिम व्यक्ति की चिंता करने की बात बार-बार कहते हैं और शासन द्वारा चलाई जा रही दीनदयाल अंत्योदय योजना का बखान करते हैं लकिन मुख्यमंत्री गृह जिले में ही शासन की यह महत्वाकांक्षी योजना बेलगाम अफसरशाही के सामने दम तोड़ती नजर आ रही है। हालात यह हैं कि जिला मुख्यालय पर दीनदयाल अंत्योदय समिति की बैठकों में जिम्मेदार अधिकारी मुँह मोड़ रहे हैं तो जिला अंत्योदय समिति की बैठक ही अभी तक अमल में नहीं आ सकी है। जिसके अध्यक्ष स्वयं जिले के प्रभारी मंत्री ही हैं।
शासन द्वारा समाज के अंतिम पंक्ति ने खड़े गरीब के कल्याण के लिये जिस अंत्योदय समिति का गठन किया गया है उक्त समितियों की महत्वपूर्ण बैठकें मुख्यमंत्री के जिला मुख्यालय पर किस तरह से बेलगाम अफसरशाही के सामने दम तोड़ रही हैं इसका जीता-जागता नमूना पिछले दिनों देखने को मिला।
हुआ यूँ कि 28 दिसम्बर को दोपहर के समय मुख्य नगर पालिका अधिकारी धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने दीनदयाल अंत्योदय समिति की बैठक का एजेण्डा समिति अध्यक्ष सहित 11 सदस्यीय समिति को भेजा। उक्त बैठक के एजेण्डे के अनुसार समिति अध्यक्ष भाजपा नेता मांगीलाल सोलंकी और समिति सदस्य नगर पालिका के बैठक सभागार में पहुँचे हैं लेकिन लंबे समय तक जब बैठक का एजेण्डा जारी करने वाले नगर पालिका मुख्य नगर पालिका अधिकारी धीरेन्द्र श्रीवास्तव नहीं पहुँचे तो समिति अध्यक्ष श्री सोलंकी और सदस्यों ने मुनपा अधिकारी श्री श्रीवास्तव से मोबाइल पर सम्पर्क किया और बैठक में उपस्थित होने के लिये वहाँ जिसके प्रति उत्तर में सीएमओ धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने बैठक में उपस्थित होने पर असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि मैं अभी जबलपुर हूँ और नगर पालिका के सहायक यंत्री को मैने बैठक में उपस्थित रहने के लिये निर्देश दे दिये हैं। मुनपा अधिकारी श्रीवास्तव की उक्त बात सुन भोले-भाले समिति अध्यक्ष मांगीलाल सोलंकी ने समिति सदस्यों और सहायक यंत्री श्री पाण्डेय की उपस्थिति में उक्त बैठक सम्पन्न कर ली। लेकिन बैठक समाप्त होते ही समिति अध्यक्ष और सदस्य जैसे ही नगर पालिका के सभागार से बाहर निकले तो वहाँ उपस्थित एक कर्मचारी ने कहा कि सीएमओ धीरेन्द्र श्रीवास्तव भोपाल नाका स्थित नगर पालिका लेखापाल हरिभान सिंह दाऊ के निवास पर बैठे हैं बस फिर क्या था यह बात सुन समिति अध्यक्ष और सदस्यों के होंश उड़ गये और वह सभी मुनपा अधिकारी धीरेन्द्र श्रीवास्तव को देखने भोपाल नाके पर दाऊ के मकान पर देखने पहुँच गये जहाँ वाकई सीएमओ धीरेन्द्र श्रीवास्तव मौजूद थे। इस बात पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी और भाजपा नेताओं में बैठक में उपस्थित न होने को लेकर श्रीवास्तव से कुछ कहासुनी भी हुई है।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि मुख्यमंत्री जिस योजना का बखान और बड़े-बड़े दावे यदा-कदा अपने भाषणों में करते हैं लेकिन खुद उनके गृह जिला मुख्यालय पर अधिकारी मौजूद रहने के बाद शासन की महत्वाकांक्षी योजना की बैठक में उपस्थित रहने की जहमत नहीं उठाते हैं तो फिर इन महत्वाकांक्षी बैठकों मे लिये गये निर्णयों पर अमल होने की बात दूर की कौड़ी ही लगती है और साथ ही प्रदेश भर में जिस बेलगाम अफसरशाही की बात कही जा रही है यह स्थिति मुख्यमंत्री के स्वयं के गृह जिला मुख्यालय पर भी देखने को मिल रही है। लेकिन इस पूरे मामले में जिम्मेदार जिला प्रशासन के नौकरशाह कभी भी इस बढ़ी चूक के लिये कार्यवाही तो दूर अपने अधिनस्थों से सवाल खड़े करने की जहमत भी नहीं उठाते हैं।