सीहोर 8 दिसम्बर (नि.सं.)। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये आज भोपाल में आरक्षण सम्पन्न हो गया जहां सीहोर की सीट को ओबीसी के लिये आरक्षित रखा गया है। लेकिन इसे मुक्त रखा गया है। आरक्षण के साथ ही सीहोर में राजनीतिक चर्चाएं सरगर्म हो गई हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद को लेकर सीहोर में राजनीतिक सरगर्मियां हमेशा ही बनी रहती है। यूं तो पूरा जिला बहुत बड़ा और विशाल है, एक छोर पर सीहोर और दूसरे छोर पर प्रदेश के मुखिया का विधानसभा क्षेत्र बुदनी नसरुल्लागंज आता है। पिछले लम्बे समय से देखने में आ रहा है कि सीहोर से जुड़ा हुआ राजनेता ही जिला पंचायत के अध्यक्ष पद की सीट पर काबिज होता है। पूर्ववती अध्यक्ष रह चुके जसपाल सिंह अरोरा जहां सीहोर नगर की राजनीति में प्रमुख रुप से अपनी जगह रखते हैं जबकि विधायक रमेश सक्सेना की राजनीतिक समझ के आगे भी राजनेता पानी भरते नजर आते हैं पिछली बार जितनी आसानी से विषम परिस्थितियों सम करते हुए विधायक सक्सेना ने अपने पक्ष में जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट करवा ली थी और अनीता भंडेरिया को इस पर काबिज करवा दिया था लोग दांतो तले उंगली दबाये रह गये थे।
कुल मिलाकर सीहोर जिला पंचायत अध्यक्ष के पद को लेकर सीहोर की राजनीति हमेशा से गर्मागर्म बनी रहती है। इसी क्रम में आज जब भोपाल में जिला पंचायत अध्यक्ष सीहोर के लिये एक बार फिर पिछड़ा वर्ग से आरक्षण किया गया तो यहां सरगर्मी तेज हो गई। आरक्षण मुक्त होने से यहां पिछड़ा वर्ग ओबीसी में से महिला या पुरुष कोई भी चुनाव लड़ सकता है। आज जैसे ही आरक्षण की खबर सीहोर आई लोगों ने कयास लगाना शुरु कर दिये हैं कि अब कौन-कौन जिला पंचायत अध्यक्ष के लिये तैयारी करेगा।
अध्यक्ष पद का एक बार फिर पिछड़ा वर्ग हो जाने के पीछे कहीं इसका लाभ बुदनी नसरुल्लागंज को तो नहीं मिल जायेगा क्योंकि उस क्षेत्र के अधिकांश वार्ड पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित किये गये हैं वहां से जीतकर आये नेता तय है कि प्रदेश के मुखिया से अपनी करीबी भी बतायेंगे । कुल मिलाकर जिला पंचायत अध्यक्ष के पद को लेकर अब चर्चाएं सरगर्म बनी रहेंगी।